
कवर्धा। जैविक कृषि के क्षेत्र में एक नई दिशा की ओर कदम बढ़ाते हुए, कवर्धा के होटल रॉयल सेलिब्रेशन में आज उन्नतशील कृषकों के लिए एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में एग्रीवाइब (AgriVibe) ने अपने नवीन जैविक उत्पाद “भू अमृत” का औपचारिक शुभारंभ किया। स्थानीय किसानों की उपस्थिति में संपन्न इस सेमिनार में, वैज्ञानिकों, कृषि विशेषज्ञों और संस्था के प्रतिनिधियों ने इस जैविक खाद की वैज्ञानिक विशेषताओं और व्यावहारिक लाभों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
“भू अमृत” कोई सामान्य खाद नहीं, बल्कि यह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर में विकसित लिग्नोसेलुलोसिक बायोमास (एलसीबी) नामक उन्नत तकनीक पर आधारित एक अत्याधुनिक जैविक समाधान है। इसे विशेष रूप से छत्तीसगढ़ की मिट्टी और कृषि आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है और इसका निर्माण भी स्थानीय स्तर पर कवर्धा में ही किया जा रहा है। यह पहला अवसर है जब राज्य में किसी आधुनिक जैविक उत्पाद का निर्माण और वितरण स्थानीय किसानों के लिए उपलब्ध हुआ है।
इस जैविक खाद की सबसे बड़ी विशेषता इसका बहुपरतीय वैज्ञानिक आधार है। “भू अमृत” में लाभकारी सूक्ष्मजीवों का ऐसा प्राकृतिक मिश्रण होता है, जो न केवल मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है, बल्कि रासायनिक खादों पर निर्भरता को भी घटाता है। इसके साथ ही इसमें प्रयुक्त सूक्ष्म पोषक तत्व तकनीक (नैनो तकनीक) और अत्यधिक जल-शोषक यौगिक (सुपर एब्जॉर्बेंट पॉलिमर) जैसी नवीन विधियाँ इसे पारंपरिक खादों की तुलना में अधिक प्रभावशाली बनाती हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित कृषि विकास विशेषज्ञ श्री आनंद कुमार ताम्रकार, भू वैज्ञानिक डॉ. विश्राम पाल, भू वैज्ञानिक डॉ. धर्मेन्द्र पाण्डेय और श्रीधर कोटरा ने किसानों से सीधे संवाद के माध्यम से “भू अमृत” के सकारात्मक परिणाम साझा किए। उन्होंने बताया कि इसके नियमित उपयोग से न केवल फसल की गुणवत्ता और उपज में वृद्धि होती है, बल्कि मिट्टी की दीर्घकालिक सेहत भी बनी रहती है।
उन्होंने इसे छत्तीसगढ़ में जैविक खेती की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया। स्थानीय निर्माण, वैज्ञानिक तकनीक और व्यावहारिक उपयोगिता को देखते हुए, “भू अमृत” आने वाले समय में राज्य की खेती को एक नई पहचान दे सकता है।
इस अवसर पर एग्रीवाइब के संचालक श्री संदीप चंद्रवंशी ने कहा, “‘भू अमृत’ केवल एक उत्पाद नहीं, बल्कि यह हमारी धरती से जुड़ी एक सोच है। हम चाहते हैं कि किसान भाई-बहन सतत खेती को अपनाएं और आने वाली पीढ़ियों के लिए मिट्टी को जीवित रखें। यही कारण है कि हमने इसका निर्माण कवर्धा में ही शुरू किया।”
सेमिनार के अंत में किसानों को “भू अमृत” के नि:शुल्क नमूने वितरित किए गए और इसके उपयोग व प्रभावों पर आधारित एक अनुवर्ती अभियान की भी घोषणा की गई।
इस अवसर पर जिले के अनेक प्रतिष्ठित और प्रगतिशील कृषकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया, जिनमें विशेष रूप से राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त अदिति कश्यप, रामकुमार चंद्राकर, हरेकृष्ण शुक्ला, पारस राजपूत, जलेश्वर राजपूत, परेटन वर्मा, दिलीप राजपूत, बाबूलाल चंद्राकर, जीवन यादव, रोहित चंद्रवंशी, श्री नरेन्द्र वर्मा तथा सिद्धराम चंद्रवंशी शामिल रहे। इन सभी कृषकों ने “भू अमृत” की वैज्ञानिक तकनीक, उसके दीर्घकालिक लाभों और जैविक खेती की दिशा में इसके महत्व को सराहा और इसे एक सकारात्मक बदलाव के रूप में स्वीकार किया।
