बिजली कंपनी को निर्देश, हाईकोर्ट ने कहा – मृत महिला के परिजन को दें मुआवजा
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने बिजली के झटके से महिला की मौत के मामले में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (CSPDCL) की अपील को खारिज करते हुए मृत महिला के परिजनों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सख्त दायित्व सिद्धांत (Strict Liability Principle) लागू करते हुए कहा कि खतरनाक गतिविधि में शामिल कोई भी व्यक्ति या संगठन किसी नुकसान के लिए जिम्मेदार होगा, चाहे गलती या लापरवाही का मामला हो या नहीं।
मृतक महिला ने घरेलू उपयोग के लिए अपने घर में बोरवेल करवाया था। बोरवेल का उपयोग करते समय बिजली के झटके से उसकी मौत हो गई। महिला के पति और बच्चों ने CSPDCL के खिलाफ 11 लाख रुपये मुआवजे की मांग करते हुए सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया। याचिकाकर्ता के अनुसार, घटना CSPDCL की लापरवाही, विशेष रूप से अर्थिंग सिस्टम की खराबी के कारण हुई थी।
कंपनी ने तर्क दिया कि दुर्घटना गृहस्वामी की अनुचित वायरिंग और मृतक की लापरवाही के कारण हुई। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय दिया और कंपनी को मुआवजा देने का निर्देश दिया।
निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए CSPDCL ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल शामिल थे, ने सुप्रीम कोर्ट के 2002 के एमपी इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड बनाम शैल कुमारी और अन्य मामले का हवाला देते हुए अपील खारिज कर दी।
हाईकोर्ट ने मृत महिला के परिजनों को 10,37,680 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया, जिसमें:
- आश्रित हानि के लिए 9,67,680 रुपये
- मानसिक पीड़ा, संपत्ति की हानि और अंतिम संस्कार के खर्च के लिए 70,000 रुपये शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने घटना की तारीख से 9% वार्षिक ब्याज के साथ राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के निष्कर्ष तथ्य और साक्ष्यों पर आधारित हैं और उनमें कोई खामी नहीं है। इस आधार पर, निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए CSPDCL की अपील खारिज कर दी गई।