कबीरधामकवर्धा

*श्रद्धा और विश्वास के घनीभूत स्वरूप हैं माता पार्वती तथा भगवान शिव*

लोक विख्यात संत प.पूज्य सुधांशु जी महराज जी के प्रिय शिष्य  कुलदीप पाण्डे ने गुप्ता धर्मशाला पांडातराई में आयोजित सप्त दिवसीय शिव महापुराण के तृतीय दिवस शिव एवं पार्वती विवाह की कथा सुनाई।  याण्डेय  विश्व जागृति मिशन के केंद्रीय मुख्यालय आनंदधाम आश्रम दिल्ली से पधारे हुए हैं। कथा व्यास  पाण्डेय जी ने कथा के दौरान उपस्थित सज्जनों एवं मातृशक्तियों को बताया कि हमारा मन ही बन्धन का कारण है, मन को बंधनों से मुक्त करना ही वास्तविक मुक्त होना है। यदि हम मानसिक रूप से प्रबल होते हैं तो ब्रह्माण्ड की सभी दैवीय शक्तियाँ हमारा साथ देती हैं। यही कार्य योगेश्वर श्री कृष्ण ने किया फलस्वरूप अर्जुन विजयी हुआ।

शिवलिंग की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति रूपी योनि में शिव (पिंडी) अडिग और निश्चल रहता है, “प्रकृति में न लिप्त है और न लीन” इसीलिए पूजित होता है। यदि हम भी समाज में सम्मान पाना चाहते हैं तो देह स्तर से ऊपर उठना पड़ेगा, अपनी चिंतन और ज्ञान को व्यापक बनाना होगा। शिव-पार्वती विवाह की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि शिव ने विवाह भी देवताओं को तारकासुर से मुक्त करने के लिए किया। शिव के गृहस्थी से सबको सीखना चाहिए कि “सच्चा सुख संग्रह वृत्ति में नहीं वरन् निवृत्ति में सन्निहित है।” कार्यक्रम के मीडिया प्रभारी रघुनंदन गुप्ता ने जानकारी दी कि सोमवती अमावस्या दिन सोमवार दिनांक 30 दिसंबर 2024 को प्रातःकालीन सत्र समय प्रातः 8 से 10 बजे तक ही यह कथा चलेगी एवं हवन उपरान्त पूर्णाहुति होगी।

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Brajesh Gupta

Editor, cgnnews24.com

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