
कवर्धा -श्रम अधिकारी शोएब का जी के द्वारा ठेकेदारों लाइसेंस संबंधी लेनदेन शिकायत में प्रशासन द्वारा उसे तत्काल लंबित कर दिया था जिस पर श्रम अधिकारी के द्वारा हाई कोर्ट को गुमराह कर हिस्ट्री आदेश लाकर फिर से अपना श्रम विभाग में प्रभार ले लिया था लेकिन जब उनकी काली करतूत की पुख्ता जानकारी हाई कोर्ट को प्राप्त हुई और सही पाया गया तो उसको हाई कोर्ट ने फिर से तत्काल लंबित कर दिया है
ज्ञातब्य भी हो कि श्रम अधिकारी शोएब कई संबंधित विभाग में 4 वर्षों से जमा हुआ था इनकी मनमानी इतना बढ़ गया था कि काम करना तो दूर किसी से बात करना भी पसंद नहीं करता था आम जनता को शासन की योजनाओं का लाभ से वंचित होना पड़ रहा था यहां तक की इनको अधिकारी विधायक मंत्री किसी का भी भाई नहीं था मेरी शिकायत जिस किसी की पास भी करने को बोला जाता था आखिर न्यायपालिका के द्वारा एक बार फिर से सही निर्णय लेकर उसे कार्य से मुक्त कर दिया गया है
कवर्धा कलेक्टर ने इस जांच की जिम्मा अपर कलेक्टर इन्द्रजीत बरमन को सौंपा जिसके बाद अपर कलेक्टर ने सबसे पहले श्रमपदाधिकारी काजी से अपने यहां पंजिकृत ठेकेदारों की सुची मागीं मगर काजी के द्वारा गोलमोल करते हुए सुची नहीं दी गई इतना ही नहीं बलकी श्रमपदाधिकारी से विभाग के हितग्राहीयों की सुची मांगी गई तब भी उपलब्ध नहीं कराई इससे साफ साफ पता चलता है कि श्रम विभाग में घोटाले की कई रहस्य छुपा हुआ है। जो जांच के बाद उजागर होगा।
जांच प्रतिवेदन भेेजा शासन को
अपर कलेक्टर इंद्रजीत बर्मन ने इस मामले की जांच का प्रतिवेदन कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया जिसके बाद कलेक्टर ने कवर्धा के श्रमपदाधिकारी शोएबकाजी को जिले से हटाने और प्लेसमेंट पर काम कर रहे धनन्जय कौशिक और अनिल देशमुख को नौकरी से हटाने की अनुशंसा का पत्र राज्य शासन को भेज दिया था।
