
छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (CIMS) में सोमवार को MBBS फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स ने परंपरा के अनुसार शव की पूजा की। इस आयोजन के साथ छात्रों की पढ़ाई शुरू होगी। किसी भी मेडिकल कॉलेज में कैडवेरिक ओथ मेडिकल की पढ़ाई की पहली सीढ़ी मानी जाती है।
3 अक्टूबर को एमबीबीएस फर्स्ट ईयर के 2023-24 बैच के स्टूडेंट्स की व्हाइट कोट सेरेमनी हुई। एनाटॉमी विभाग के हॉल में शव का विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और फूल-मालाएं भी चढ़ाई। एनॉटॉमी की एचओडी डॉ अमित कुमार ने नए स्टूडेंट्स को कैडवेर के प्रति मान सम्मान और आदर की शपथ दिलाई।
कैडवेर दान करने वाले परिजन महान- डीन
डीन डॉ. केके सहारे ने कहा कि सभी चिकित्सक के लिए मानव शरीर को पहला टीचर यानी कि गुरु माना जाता है। इसलिए दान में मिले शव की पूजा कर शपथ ली जाती है। जिसे मेडिकल की भाषा में कैडवेरिक ओथ कहा जाता है। कैडवेर दान करने वाले के परिजनों के लिए उन्होंने कहा कि वे सब महान हैं, जिन्होंने मानव कल्याण के लिए इतना बड़ा योगदान दिया।

डीन बोले- एमबीबीएस की पहली कक्षा है एनाटॉमी
डीन डॉ. केके सहारे ने कहा कि शरीर रचना (एनाटॉमी) ही एमबीबीएस की पहली कक्षा है। मानव शरीर के प्रत्येक अंगों का ज्ञान हासिल कर स्टूडेंट्स एक अच्छा चिकित्सक बनता है। इसमें उन्हें हर अंगों की जानकारी दी जाती है और उससे ही प्रयोग किया जाता है।
उन्होंने कहा कि नए छात्र-छात्राओं को देह दान करने वाले लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए कि उन्होंने किस तरह से त्याग किया है। ऐसे ही त्याग कर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराना सभी डॉक्टर का कर्तव्य होता है।
मानव शरीर से ही मिलता है चिकित्सकीय ज्ञान
मानव शरीर की पूजा कर शपथ इसलिए ली जाती है, क्योंकि इसके माध्यम से ही मेडिकल छात्रों को पेशेवर सिद्धांत, ज्ञान, आचरण और परोपकारी व्यवहार की जानकारी मिलती है। इस शपथ में छात्रों ने मानव शव का सर्वोच्च सम्मान के साथ व्यवहार करने, शव की गोपनीयता का सम्मान करने और मृतक और उनके परिवार के इस महान बलिदान से प्राप्त ज्ञान का उपयोग समाज की सेवा में लगाने के लिए शपथ लिया जाता है।

डीन डॉ. सहारे ने कहा कि आज इस कैडवेर ओथ के माध्यम से हम उस शरीर को नमन करते हैं, जो नए छात्रों को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। उन्हें एक अच्छा डॉक्टर बनने की प्रेरणा देता है।
क्या है कैडवेर सेरेमनी ?
कैडवेर सेरेमनी (Cadaver Ceremony) यानी शव की पूजा। एमबीबीएम प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले छात्र के जीवन का यह सबसे अहम पड़ाव होता है। पहले साल वह शरीर संरचना विज्ञान की पढ़ाई करता है। यह वह वक्त होता है जब वह पहली बार किसी शरीर को हाथ लगाता है।
कैडवेर सेरेमनी यानी पूजा इसलिए की जाती है, क्योंकि वह मानव सेवा जैसे महान कार्य के लिए एक शरीर के कई हिस्सों के बारे में जानने जा रहा है। वह भविष्य में मानवीय मूल्यों की रक्षा करते हुए अनेक मानव जीवन को बचाने में सहायक बनेगा।
इसलिए भी खास होता है यह सेरेमनी
एमबीबीएस प्रथम वर्ष के स्टूडेंट्स के लिए कैडवेर सेरेमनी इसलिए भी खास माना जाता है, क्योंकि वे एक शिक्षक से (मानव शरीर) की संरचना समझेंगे। जीवन भर समाज को शिक्षित करने के लिए दिन रात एक करने वाला शिक्षक (शव) अपनी मौत के बाद भी समाज को ‘धरती का भगवान’ दे रहा है। इस एक मानव शरीर से हर साल सैकड़ों स्टूडेंट्स पढ़ाई कर डॉक्टर्स बनते हैं।

शवदान करने की अपील
डीन डॉ. सहारे ने लोगों को शव दान करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि प्राचीन परंपरा रही है कि लोग शव को या तो जला देते हैं या फिर दफन कर देते हैं। लेकिन समाज में ऐसे भी लोग है, जो मरने के बाद भी समाज सेवा यानी कि मेडिकल छात्रों के लिए अपना शरीर दान करते हैं।
ऐसे लोगों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए और अधिक से अधिक शव का दान कर मेडिकल छात्रों की पढ़ाई में मदद करनी चाहिए।
