कवर्धा- भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश है 73 वर्षों से हमारे देश में प्रजातंत्र लागू है, तथा 71 वर्षों से नागरिक मतदान कर रहे हैं , लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि आधी शताब्दी के बाद भी हमारे देश में बहुत कम स्थान पर 50% से अधिक मतदान हो पता है, जो प्रजातंत्र के लिए शुभ लक्षण नहीं है। कम मतदान का सबसे बड़ा कारण आशिक्षा, महिलाओं में पर्दाप्रथा कही जा सकती है , लेकिन सबसे ज्यादा चिंता जनक है , बुद्धिजीवियों का मतदान के प्रति उदासीन रहना ….! पूछने पर उसका कारण भी यह बताते हैं कि सब चोर हैं …अर्थात कोई योग्य नहीं है, किसे वोट दें ,इस पर हम उन्हें यह सुझाव दे सकते हैं कि जो उनमें छोटा चोर हो उसे दीजिए इतने उम्मीदवारों में जो सबसे अधिक पढ़ा लिखा हो उसे दीजिए ,वो भी पसंद नहीं तो जो मिलनसार हो उसे दीजिए , जो जनहित कार्यों में दिलचस्पी लेता हो वह उम्मीदवार सर्वश्रेष्ठ होगा…? क्योंकि वह आपकी नहीं तो आपके गांव , शहर , क्षेत्र की कुछ तो तरक्की करेगा जो अपनी कुर्सी का रुतबा ना बताता हो उसे वोट दीजिए, हर हाल में वोट अवश्य कीजिए अन्यथा यदि मतदान का प्रतिशत 50 से कम हुआ तो ऐसा गलत आदमी भी चुनकर आ सकता है …जिसे अधिकतर लोग नहीं चाहते हो, याद रखिए बुरे प्रतिनिधि जो चुनकर आते हैं, उनके लिए “वह भले लोग जिम्मेदार हैं जो मतदान के लिए नहीं आते” किसी विद्वान के इस वाक्य के कारण ही अनेक देशों में मतदान अनिवार्य किया गया है, अतः उदासीनता को भगाइए तथा वोट देने जाइए…..
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