कबीरधामकवर्धा

मृत्यु के बाद आपकी आंखे दुनियां देख सकती है, बशर्तें करना होगा ये काम

कबीरधाम जिले में कुसुमघटा के वर्मा परिवार की बुजुर्ग माता ने वर्ष 2018 में किया था अपनी आखें दान

25 अगस्त से 8 सितम्बर तक नेत्रदान पखवाड़ा का आयोजन
क्या आपको पता है। मृत्यु के बाद भी आपकी आंखे इस दुनियां को देख सकती है। बशर्तें के लिए आपको एक छोटा सा काम करना होगा। मृत्यु से पहले आपकों अपनी दोनों आखों मृत्यु के बाद दान करने की विविधवत घोषणा करनी होगी।
बताते दी स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार जिले में 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक नेत्रदान पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। इस अवधि में मृत्यु के बाद अपनी दोनों आखें घोषणा कर विधिवत फार्म भर सकते है। ऐसा नही है कि इस पखवाड़े के बाद आप अपनी आखें दान नहीं कर सकती, इस पखवाड़े के बाद भी जिला चिकित्सालय एवं अपने नजदिक स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर विधिवत फार्म भर कर मृत्यु के बाद आंखे दान करनी की घोषणा के साथ सहमति दे सकते है।
कलेक्टर जनमेजय महोबे ने स्वास्थ्य विभाग के द्वारा संचालित नेत्रदान पखवाड़ा में नेत्रदान करने के लिए विशेष आग्रह किया हैं। बैठक में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एमके सुर्यवंशी ने बताया कि नेत्रदान के लेकर आज भी कही भ्रांति फैली हुई है,लेकिन वह सिर्फ भ्रांति है। हमे ऐसे भ्रांतियों से सजग होकर नेत्रहिनों की मदद के लिए आगे आने होगे। जिला चिकित्सालय में पदस्थ नेत्र विशेषज्ञ डां छाया चोपड़ा ने बताया कि किसी भी व्यक्ति के 6 घंटे के भीतर नेत्रदान किया जा सकता है। इसके लिए उनके परिवार की सहमति जरूरी है। उन्होने बताया कि नेत्रदाता के आंखों को मृत्यु के बाद खुला न रहने दे, बंद पलकों पर गिली रूई य बर्फ की टुकड़ा रख कर आंखों को सुरक्षित रखा जा सकता है। सहायक नेत्र चिकित्स डॉ मनीष जॉय ने बताया कि कबीरधाम जिले में मृत्यु की अनुपात में आंखे दान करने वालों की संख्या नहीं के बराबर है। वर्ष 2018 में ग्राम कुसमुमघटा के वर्मा परिवार ने परिवार की बुजुर्ग माता की मृत्यु के बाद दोनों आखें दान की है। उन्होने बताया कि नेत्रदान तुरंतदान महाकल्याण,नेत्रदान सर्वश्रेष्ठ दान कहा जाता है।

नेत्रदान के संबंध में कुछ अन्य बिंदु हैं, जैसे-

निकट दृष्टिदोष, दूरदर्शिता और दृष्टिवैषम्य जैसी दृष्टि समस्याओं वाले लोग अपनी आंखें दान कर सकते हैं। दाता का आयु कारक आमतौर पर अप्रासंगिक होता है। जैसा कि कोई भी मृतक अपनी आंखें दान कर सकता है। उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मधुमेह जैसी कुछ बीमारियों वाले लोग भी नेत्रदान कर सकते हैं। किसी भी लिंग का व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है।

क्या कोई व्यक्ति जिसकी आँखों की सर्जरी हुई है, वह आँखें दान कर सकता है?

चिकित्सक डॉ चोपड़ा ने बताया कि हां, आंखों के कई हिस्से होते हैं जिनका उपयोग किया जा सकता है, भले ही उनमें से एक क्षतिग्रस्त हो। आमतौर पर यह कॉर्निया है जो आंखों की समस्याओं को ठीक करने के लिए ऑपरेशन किया जाता है। कोई नियम नहीं कहता है कि आंखों का कॉर्निया दान नहीं किया जा सकता है, चाहे वह मोतियाबिंद सर्जरी हो या लैसिक सर्जरी। आंखों का उपयोग अभी भी कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए किया जा सकता है। पहले से संचालित कॉर्निया के स्वस्थ हिस्से को अभी भी दान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

नेत्रदान कौन नहीं कर सकता

एक व्यक्ति जिसे एड्स, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस बी या किसी संचारी रोग जैसी बीमारियां हैं, वह अपनी आंखें दान नहीं कर सकता है। डूबने से मरने वाला व्यक्ति भी आंखें दान करने के योग्य नहीं होता।

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Brajesh Gupta

Editor, cgnnews24.com

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