कवर्धा । कलेक्टर कार्यालय परिसर में संचालित जिला अंत्यावसायी विभाग
के क्षेत्राधिकारी को 2019 में बैगा युवक से बीस हजार रूपये रिश्वत के मामले में दीपक नामदेव को सभी आरोपों से हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है।
दीपक नामदेव जो अंत्यावसायी विकास विभाग कवर्धा में प्रभारी कार्यपालन अधिकारी के पद पर पदस्थ रहे। एसीबी ने उनके कार्यालय में छापा मार कर 17 जनवरी 2019 को कार्यवाही किया था। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए दीपक नामदेव ने अपने अधिवक्ता गौतम खेत्रपाल के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में अपील दायर किया था जिसकी सुनवाई माननीय मुख्य न्यायाधीश के सिंगल बैंच मैं हुई। जिसमें प्रभारी कार्यपालन अधिकारी को उच्च न्यायालय में न्याय मिला, प्रकरण की सुनवाई चीफ जस्टिस द्वारा किया गया, जो श्री नामदेव के पक्ष में आया।
उच्च न्यायालय बिलासपुर छ.ग. के अपीलकर्ता के अधिवक्ता गौतम खेत्रपाल ने दलील दी कि निचली अदालत ने अपीलकर्ता को दोषी ठहराकर गलती की है क्योंकि शिकायतकर्ता को स्वीकृत ऋण की पूरी राशि पहले ही वितरित की जा चुकी थी और अपीलकर्ता के लिए शेष राशि की जारी करने के लिए किसी भी अवैध रिश्वत की मांग करने का कोई कारण नहीं था। अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि अपीलकर्ता ने शिकायतकर्ता से कभी भी किसी अवैध रिश्वत की मांग की थी, जो कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 के तहत किसी भी अपराध के लिए एक अनिवार्य अनिवार्यता और एक कठोर वैधानिक आदेश है इस प्रकार, कथित रूप से अवैध परितोषण या उसकी वसूली के रूप में किसी भी राशि को स्वीकार करना, मांग के सबूत के बिना, अधिनियम की इन दो धाराओं के तहत आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। अधिवक्ता गौतम खेत्रपाल ने सुनवाई दौरान दलील दी कि
*कामू बैंगा को इसमें पहली किस्त जारी होने के बाद वह काम नहीं कर रहा था तब उसे दो नोटिस जारी किया गया । इसके बाद भी कार्य नहीं कर रहा था तत्पश्चात कार्य नहीं करने से अंतिम नोटिस वसूली हेतु जारी किया गया था। इसी के चलते कामू बैंगा ने झूठी शिकायत किया था। इस आधार पर चीफ जस्टिस द्वारा तदनुसार, विद्वान विचारण न्यायालय द्वारा दिनांक 05.07.2023 को पारित दोषसिद्धि एवं दण्डादेश का निर्णय अपास्त/ निरस्त किया गया और अपीलकर्ता/अभियुक्त दीपक सिंह नामदेव को आरोपों से बरी किया गया है।




