
रायपुर में प्रदेश भर के दिव्यांगों ने अपनी मांगों को लेकर पैदल मार्च निकाला। दिव्यांग कोटे के तहत हुई फर्जी नियुक्तियों को बर्खास्त करने और 5000 रुपए मासिक पेंशन देने की मांग की। दैनिक भास्कर ने दिव्यांगों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अपनी-अपनी समस्याएं बताई और कहा कि हालत देखकर कोई नौकरी नहीं देता है।
दरअसल, छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने पैदल मार्च 25 सितंबर को मुंगेली से निकला था। बिलासपुर होते हुए यह यात्रा 27 सितंबर को रायपुर पहुंची। जिन जिलों से पैदल मार्च निकला, वहां कलेक्टर को ज्ञापन दिया। बुधवार को रायपुर में मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम भी ज्ञापन सौंपा गया।

350 रुपए मासिक पेंशन में परिवार चलाना मुश्किल
संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष राधा कृष्ण गोपाल ने कहा कि दिव्यांग बनकर लोग सरकारी नौकरी कर रहे हैं। जिससे वास्तविक दिव्यांग पीछे छूट रहे हैं। सरकार की ओर से सिर्फ 350 रुपए मासिक पेंशन दी जाती है। लेकिन उन पैसों से परिवार चलाना मुश्किल है।
कॉलेज की फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं
आरंग के प्रकाश कुमार खेलवार ने बताया मैं दृष्टि बाधित दिव्यांग हूं। मेरे पिता जी का देहांत हो गया है। मां भी बीमार रहती है। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है। मैं अभी स्पेशल डीएड का कोर्स कर रहा हूं। कॉलेज फीस भरने के लिए मेरे पास पैसे तक नहीं होते हैं।
लोगों से हाथ जोड़कर फीस के लिए पैसे जमा करता हूं। मुझे शासन प्रशासन से कोई सहयोग नहीं मिलता है। मेरा छोटा भाई फल बेचकर परिवार का पालन करता है।

हाथ देखकर लोग रिजेक्ट कर देते हैं
राजनांदगांव निवासी दुर्गा साहू ने बताया कि परिवार वाले मेरा कोई सपोर्ट नहीं करते हैं। नौकरी के लिए मैं कलेक्टर के पास जाती हूं तो सिर्फ आश्वासन दिया जाता है। मैं अकेली हो गई हूं। नौकरी मांगने जाती हूं तो मेरा हाथ देखकर लोग रिजेक्ट कर देते हैं।

पैरा एथलीट को भी सुविधाएं नहीं मिलती
कवर्धा की छोटी मेहरा ने कहा कि मैं पैरा एथलीट खिलाड़ी हूं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाग ले चुकी हूं। मैं गरीब परिवार से हूं। मेरी माता का निधन हो गया है और पिता जी घर में रहते हैं। वह भी ठीक से चल नहीं पाते हैं। भाई चाय की दुकान चलाता है उसी से हमारा गुजारा होता है।
मैं ओलिंपिक तक जाना चाहती हूं लेकिन मुझे अभी तक किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं मिल पा रही है। मैं शासन से निवेदन करती हूं कि मुझे सुविधा दी जाए ताकि मैं आगे खेल सकूं।

मां मजदूरी करके मुझे पाल रही
मुंगेली से आए भुवनेश्वर ने बताया कि मैं अभी पढ़ाई कर रहा हूं। मेरे पिताजी का देहांत हो गया है। घर में मैं और मेरी मां रहते हैं। मेरा एक भाई भी है। वो शादी के बाद अलग रहता है। मां मजदूरी कर मेरा पालन पोषण करती है।

परिवार की आर्थिक स्थिति खराब
कवर्धा के रामचंद्र यादव ने बताया कि घर में कमाने वाला कोई नहीं है। मेरे माता-पिता बुजुर्ग हो चुके हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है। सरकार 350 रुपए दिव्यांग पेंशन देती है लेकिन उन पैसों से घर का गुजारा नहीं हो पाता है। सरकार दिव्यांगों की मदद करें।

भीख मांगकर परिवार चला रहा
बेमेतरा के पवन साहू ने बताया कि मैं भीख मांगकर अपना परिवार चलाता हूं। घर में खाने के लिए चावल भी नहीं रहता। सरकार जितना पेंशन देती है आज के समय में उन पैसों से कुछ नहीं हो पाता है। लोगों से भीख मांगकर हम जिंदगी चला रहे हैं।

ये हैं इनकी मांगें
- सरकारी विभाग में फर्जी दिव्यांग बनकर घूम रहे लोगों की जांच कर बर्खास्त करें।
- शासकीय कर्मचारियों के दिव्यांगता की भौतिक परीक्षण प्रथम और द्वितीय श्रेणी का राज्य मेडिकल बोर्ड से कराएं। तृतीय और चतुर्थ श्रेणी का संभागीय मेडिकल बोर्ड से कराने के लिए परिपत्र सामान्य प्रशासन विभाग से जारी किया जाए।
- सभी विभाग में दिव्यांग कोटे के बैकलॉग पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया जाए।
- दिव्यांगों को प्रतिमाह 5000 रुपए मासिक पेंशन दिया जाए। बीपीएल की बाध्यता खत्म की जाए।
- नि:शक्तजनों से संबंधित समस्त मंडल/आयोग के अध्यक्ष और सभी सदस्य दिव्यांग व्यक्ति को ही बनाया जाए।
- सभी जिला मेडिकल बोर्ड में अन्य विभाग के दिव्यांग अधिकारी को प्रतिनिधि रखा जाए, जिससे फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र न बन सके।
- पंचायत, नगरीय निकाय, विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा में दिव्यांगों को 7 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।
- सभी जिला कार्यालयों में दिव्यांग हेल्प डेस्क बनाया जाए। प्रतिनियुक्ति पर दिव्यांग कर्मचारी को ही रखा जाए। जिससे दिव्यांगों को शासकीय योजनाओं का लाभ और जानकारी समय पर सही रूप में मिल सके।
- समाज कल्याण विभाग में दिए गए सहायक उपकरण गुणवत्ता विहीन रहता है। समाज कल्याण विभाग में दिव्यांगों के नाम पर आबंटित शासकीय राशि आहरित कर फर्जी बिलों के माध्यम से कार्यालयों द्वारा गबन किया जा रहा है। जिसकी जांच सीबीआई या एण्टी करप्शन ब्यूरो से कराई जाए।
- राष्ट्रीय दिव्यांगजन पुनर्वास कार्यक्रम लागू कर जिलों में दिव्यांग मितान की नियुक्ति की जाए और मानदेय 3000 रुपए किया जाए।
