कवर्धा – राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के सांसद संतोष पांडेय ने कबीरधाम जिले के वन क्षेत्र में वनों की लगातार हो रही कटाई, लकड़ी तस्कर व अतिक्रमणकारियों की बढ़ती सक्रियता को लेकर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने वन मंत्री व क्षेत्रीय विधायक की भूमिका पर भी सवाल उठाए।
सांसद संतोष पांडेय ने बताया कि ज़ब से राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी है और क्षेत्र में कांग्रेस के विधायक व वन मंत्री बने हैं तब से जंगलों में वनों की अवैध कटाई व तस्करी बहुत बढ़ गई है। जंगल साफ होते जा रहे हैं। साल, सागौन, तिनसा जैसे बेसकीमती पेड़ों की अवैध कटाई बड़े पैमाने पर हो रही है। रिजर्व फारेस्ट एरिया में भी लकड़ी तस्कर व अतिक्रमणकारी सक्रिय हैं। जबकि उक्त एरिया में मवेशियों की चराई तक प्रतिबंधित है। गांव वालों व विभाग के छोटे कर्मचारियों के द्वारा अधिकारियों को उक्त विषय में अवगत कराया जाता है। लेकिन मामले में कोई कार्रवाई नहीं होती है।
उन्होंने बताया कि जिले के वनांचल क्षेत्र रेंगाखार जंगल, समनापुर, झलमला, रोल, उसरवाही, खारा, पंडरीपानी, चिल्फी घाटी, बोदलपानी, मोहनपुर क्षेत्र में वनों की अवैध कटाई लगातार जारी है। समनापुर सर्किल में रिजर्व फारेस्ट क्रमांक 129,130, 132 और पीएफ क्रमांक 339 में सैकड़ों पेड़ों की अवैध कटाई हुई है। रेंगाखार जंगल क्षेत्र अंतर्गत ग्राम तरमा रिजर्व फारेस्ट बीट क्रमांक 129 से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र में करीब 200 एकड़ से अधिक वनक्षेत्र में अतिक्रमण हो चुका है। वन मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में वनों की अंधाधुंध हो रही कटाई कई सवाल खड़े कर रही है। आज तक उक्त मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वन माफियों को किसका संरक्षण प्राप्त है, यह सबको मालूम है। वन मंत्री के कार्यकाल में विकास तो हुआ नहीं लेकिन जंगल का विनाश जरूर हो गया। क्षेत्र की जनता ने क्या इसीलिए उन्हें यहां का विधायक बनाया था। आने वाले समय में जनता इसका जवाब जरूर देगी।
– मंत्री तो बाहरी हैं, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता –
सांसद संतोष पांडेय ने बताया कि वन मंत्री व क्षेत्रीय विधायक बाहरी हैं। मौदहा पारा रायपुर से आकर यहां विधायक बने हैं। उन्हें जिले की हालत और जंगल की दुर्दशा से कोई मतलब नहीं है। वनों से अच्छादित जिले के वन क्षेत्र को ग्रहण लग गया है। हरे भरे पेड़ों पर बेरहमी से कुल्हाड़ी चल रही है। जंगल कम हो रहें हैं। लेकिन विधायक तो बाहरी हैं उन्हें इससे न तो कोई फर्क पड़ता है और न ही उन्हें कोई दर्द होता है। जंगल की दयनीय हालत को देखकर वनांचलवासियों सहित जिलेवासियों को तकलीफ हो रही है।