कबीरधामकवर्धा

खेती-किसानी के लिए किसानों को समसामायिक सलाह

वर्तमान में कबीरधाम जिलें में प्रमुख फसलों की बुआई का कार्य प्रगति पर है। जिले के कृषक खरीफ में मुख्य रूप से धान, अरहर, सोयाबीन, मूंग, उड़द एवं कोदो-कुटकी की खेती करते है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बीपी त्रिपाठी ने बताया कि जिले में अधिकांश खेती वर्षा आधारित होती है, वर्तमान में वर्षा का असमान वितरण एवं रूक-रूक कर वर्षा होने के कारण किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कृषक मुख्य रूप से धान की खेती छिटका पद्धति से करते है तथा बियासी करते है। उन्होंने किसानों को समसामायिक सलाह देते हुए बताया है कि सीधे बोए गए धान के खेत में पानी की उपलब्धता के अनुसार बियासी करें। कृषकों को निदा नियंत्रण के लिए बियासी के स्थान पर निंदा नाशक का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
त्रिपाठी ने बताया कि जिन खेतों में धान बुआई नही हो पाई है वहां पर धान की कतान बोनी कर निंदानाशक का उपयोग कर सकते है। उच्चहन भूमि में दलहन तिलहन फसल जैसे मूंग, उड़द एवं तिल आदि की खेती किसान कर सकते है। रोपा पद्धति से धान की खेती करने वाले कृषकों को सलाह दी जाती है कि धान की रोपाई कतार में करें। धान में कतार से कतार की दूरी किस्म के अनुसार 15-20 से.मी. की दूरी पर रखें। विलंब होने की स्थिति में पौध अंतरण कम कर ले तथा एक स्थान पर 2-3 पौधें की रोपाई कर सकते है। रोपा धान में नींदानाशक दवा अंकुरण पूर्व (आक्सीडायजिल, एनीलोफास, ब्यूटाक्लोर, पेन्डीमेथीलिन) तथा अंकुरण के 20-25 दिन पश्चात् इथाक्सी सल्फयूरान, साइहेलोफास ब्यूटाइल का छिड़काव करें।
उन्होंने कहा कि किसान सोयाबीन की फसल 20-25 दिन की हो तथा नींदा का प्रकोप ज्यादा दिख रहा हो तो फिनाक्सीप्रॉप (व्हिप सुपर) इमेझाथाईपर (परस्यूट, लगाम) की अनुश्ंसित मात्रा का छिड़काव करें। रोपाई के लिए 15 दिन पहले हरी खाद को जमीन में मिला दें फिर मचाई करें। छिड़काव एवं कतारबोनी में नींदानाशक दवा का उपयोग करें। सोयाबीन, अरहर, अरण्डी, तिल, मूंगफली, कपास की बुवाई 15 जुलाई तक पूरी करें। मेड़ पर दलहनी, तिलहनी एवं चारे वाली फसलों की बुवाई कर सकते है।

Brajesh Gupta

Editor, cgnnews24.com

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button