18 से 21 जुलाई के बीच छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हाेने जा रहा है। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने विधायक दल की बैठक की। ये बैठक सोमवार की शाम नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल के घर पर हुई। बैठक में सबसे पहले वैशाली नगर विधायक दिवंगत विद्यारतन भसीन को श्रद्धांजलि दी गई।
करीब एक से डेढ़ घंटे चली बैठक के बाद भाजपा नेताओं ने तय किया कि करना क्या है। विधायकों की इस बैठक में संगठन के नेताओं का अहम रोल रहा। क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, महामंत्री पवन साय और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अरुण साव भी इस बैठक में शामिल हुए। भाजपा के नेता पूरी कोशिश कर रहे हैं कि 4 दिनों की विधानसभा की कार्रवाई में पुरजोर तरीके से कांग्रेस को घेरें।
बैठक खत्म होने के बाद नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा- हमने तय किया है कि हम कांग्रेस के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे। यह सत्र बहुत छोटा है संभवत: यह विधानसभा का अंतिम सत्र है, इसलिए कम से कम 10 बैठक होनी चाहिए जो नहीं हो रही हैं। अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से छत्तीसगढ़ के ज्वलंत मुद्दे, जनता की मूलभूत समस्याएं हैं सदन में रखेंगे।
चंदेल ने आगे कहा- कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार राज ने प्रदेश को लूटा, रेत घोटाला, शराब घोटाला, पीएससी घोटाला , राशन घोटाला इन सारी बातों को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सदन में तीखी बहस के साथ जनता के सामने रखेंगे। कांग्रेस सरकार का जो असली चेहरा है वह करप्शन से भरा हुआ है, भ्रष्टाचार से लिपा-पुता चेहरा है यह सरकार पूरे देश में भ्रष्टाचार की शिरोमणि की उपाधि हासिल कर चुकी है।
सदन में भाजपा का कांग्रेस के खिलाफ आखिरी पैंतरा
भाजपा ये अविश्वास प्रस्ताव इसलिए भी ला रही है क्योंकि ये विधानसभा में सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाया जाने वाला सबसे बड़ा प्रस्ताव होता है। आसान शब्दों में इसे समझें तो ये सरकार गिराने का प्रस्ताव होता है। इसमें विधायक वोट करते हैं। ये प्रदेश में इस मौजूदा सरकार का आखिरी विधानसभा सत्र हो सकता है। क्योंकि दिसंबर में चुनाव हो सकते हैं। भाजपा के विधायक अविश्वास प्रस्ताव के लिए 2 जनता कांग्रेस और 2 बसपा के विधायकों से भी समर्थन मांगेंगे।
नारायण चंदेल ने कहा कि सामान्य रूप से यह परंपरा होती है जब अविश्वास प्रस्ताव सदन के अंदर प्रस्तुत होता है। नियमों के तहत माननीय अध्यक्ष महोदय को सदन की कार्रवाई को रोककर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराना होता है। यह विधि और विधाई परंपरा है। क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव सबसे बड़ा मोशन होता है सरकार के खिलाफ। कांग्रेस से छत्तीसगढ़ की जनता हताश हो चुकी है निराश हो चुकी है। बदलाव की बयार छत्तीसगढ़ में बह रही है। इसलिए हम छत्तीसगढ़ की विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव भाजपा के विधायक रखना चाहते हैं।
क्या होगा अगर अविश्वास प्रस्ताव आया
भाजपा अगर मानसून सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आती है तो इसका कोई खास असर होता नहीं दिखता। क्यांेकि भाजपा के पास 13 विधायक बचे हैं, यदि जनता कांग्रेस और बसपा के दो-दो विधायकों ने समर्थन भी दिया तो विपक्षियों की संख्या 17 होती है। जबकि सत्ता में बैठी कांग्रेस के पास इस वक्त 72 विधायक हैं, 1 सीट भसीन के निधन की वजह से खाली है। तो माना जा रहा है कि चूंकि भाजपा सरकार को प्रभावित करने का आंकड़ा अपने पास नहीं रखती है इसलिए इस प्रस्ताव से होगा कुछ नहीं।
प्रदेश में अब तक कितने अविश्वास प्रस्ताव
पिछले साल जुलाई में ही हुए प्रदेश के विधानसभा सत्र में भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जो विफल रहा। ये प्रदेश के सियासी इतिहास का आठवां अविश्वास प्रस्ताव था। अब नौंवी बार प्रदेश की विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव आ रहा है। इससे पहले रमन सिंह के दो कार्यकाल में पांच बार और अजीत जोगी के कार्यकाल में दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। मगर हमेशा ये सत्ता पक्ष के संख्याबल के आगे टिक नहीं पाया।