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कवर्धा
शहर में डंपिंग ग्राउंड न होने का खामियाजा अब स्थानीय बाशिंदों को उठाना पड़ रहा है। ट्रांसपोर्ट नगर के पीछे और भोरमदेव रोड स्थित मुक्तिधाम के पास संकरी नदी किनारे बेतरतीब तरीके से कचरा डंप किया जा रहा है। इन कचरे के छोटे-छोटे ढेरों में आग लगने से उठता धुआं पूरे इलाके में फैल रहा है, जिससे बदबू, मच्छर और कीड़ों का प्रकोप बढ़ गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार बच्चों और बुजुर्गों में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी बढ़ रही है।
शहर के 27 वार्डों से रोजाना लगभग 2 टन गीला और सूखा कचरा निकलता है, जिसे घरों और दुकानों से स्वच्छता दीदियों द्वारा डोर-टू-डोर इकट्ठा किया जाता है। 100 से अधिक स्वच्छता दीदी और 80 सफाईकर्मी प्रतिदिन सफाई कार्य में जुटे हैं, लेकिन एक स्थायी डंपिंग स्थल न होने के कारण सारा कचरा नदी किनारे ही फेंका जा रहा है।
संकरी नदी में बढ़ता प्रदूषण भी गंभीर चिंता का विषय है। मिनीमाता चौक के पास 5 करोड़ की लागत से निर्मित वाटर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का उद्देश्य नालियों के पानी को साफ कर नदी में छोड़ना है, जबकि दूसरी ओर नदी किनारे डंप किए जा रहे कचरे से जल प्रदूषण और बढ़ रहा है। यह स्थिति पूरे क्षेत्र के लिए पर्यावरणीय खतरा बन गई है।
नगर पालिका के स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) समन्वयक होमेश मानिकपुरी ने बताया कि डंपिंग ग्राउंड बनाने के लिए कम से कम 3 एकड़ जमीन की आवश्यकता है। राजस्व विभाग ने तीन स्थान सुझाए थे, लेकिन विवाद के चलते प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी। उन्होंने आश्वस्त किया कि उपयुक्त जमीन उपलब्ध होते ही स्थायी डंपिंग व्यवस्था बनाई जाएगी।
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि जब तक स्थायी डंपिंग ग्राउंड नहीं बनता, तब तक नदी किनारे कचरा डंपिंग तत्काल रोकी जाए, ताकि प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं से राहत मिल सके।





