
ब्रजेश गुप्ता
कवर्धा -: कवर्धा की जीवनदायिनी सकरी नदी आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. कभी शहर की आधी आबादी को पानी उपलब्ध कराने वाली यह ऐतिहासिक नदी अब शहर के नालों के गंदे पानी, बदबू, अवैध रेत खनन और नदी तट पर हो रहे पक्के निर्माण की वजह से बदहाली का शिकार है. स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले नदी में सालभर पानी बहता था, लेकिन अब बारिश के दो-चार महीनों को छोड़कर नदी सूखी रहती है और उसमें निस्तारी का कचरा व सीवरेज का पानी बहता रहता है.
पूर्व सरकार के कार्यकाल में गाद सफाई, जेसीबी खुदाई और कृष्ण कुंज गार्डन निर्माण जैसे प्रयास हुए थे, लेकिन समय बीतने के साथ मेंटेनेंस के अभाव में स्थिति फिर खराब हो गई. विशेषज्ञों का कहना है कि उद्गम स्थल भोरमदेव से अमलीडीह तक नदी में साफ पानी बहता है, लेकिन शहरी क्षेत्र में प्रदूषण और स्टाप डेम निर्माण से पानी का बहाव रुक गया.
नगरपालिका अध्यक्ष चन्द्रप्रकाश चन्द्रवंशी ने नदी संरक्षण और सौंदर्यीकरण की योजनाओं पर काम करने की बात कही है. वहीं नई सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लोगों को उम्मीद है कि सकरी नदी को उसके पुराने रूप में वापस लाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे.




