कबीरधामकवर्धा

महात्मा गांधी नरेगा ने बदली बुलबुलराम की किस्मत : छोटे किसान से सफल ऑर्गेनिक बाड़ी उत्पादक बनने तक की कहानी

पशुशेड निर्माण के साथ खुला जैविक खेती का मार्ग

कवर्धा, 14 नवंबर 2025। कबीरधाम जिले के पंडरिया विकासखंड के ग्राम पाढ़ी निवासी  बुलबुलराम पिता  सुजानिक एक साधारण किसान हैं, जिनका जीवन-यापन मुख्य रूप से कृषि एवं गौवंशीय पशुपालन पर आधारित है। वे अधिक पशु पालन करना चाहते थे, परंतु उनके सामने सबसे बड़ी समस्या पशुओं को सुरक्षित एवं व्यवस्थित स्थान पर रखने के लिए पक्के शेड की अनुपलब्धता थी। खुले में पशुओं को रखने से न केवल सुरक्षा संबंधी जोखिम उत्पन्न होते थे, बल्कि दुग्ध उत्पादन एवं पशुसेवा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था।  बुलबुलराम की यह समस्या तब दूर हुई जब उन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत 68 हजार रुपए की लागत से पशुशेड निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हुई। इस स्वीकृति ने उन्हें पक्का शेड निर्माण के लिए वित्तीय सहयोग प्रदान किया तथा निर्माण कार्य के दौरान उनके परिवार के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार की भी व्यवस्था सुनिश्चित की।

 

एक शेड, अनेकों लाभ, आय के बने तीन नए स्रोत

 

पशुशेड निर्माण ने  बुलबुलराम के जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया। अब उन्हें पशुओं को खुले में छोड़ने की आवश्यकता नहीं रही। सुरक्षित एवं स्वच्छ वातावरण होने से पशुओं के स्वास्थ्य और उत्पादकता में उल्लेखनीय सुधार हुआ। पक्का शेड उपलब्ध होने के बाद वे अधिक संख्या में पशु रखने में सक्षम हुए। इसके परिणामस्वरूप बछड़े एवं बछिया की संख्या बढ़ी, जिनका विक्रय कर उन्हें अतिरिक्त आय का एक स्थायी स्रोत प्राप्त हुआ।

 

दुग्ध उत्पादन में वृद्धि

 

पशुओं की बेहतर देखभाल से दूध उत्पादन में वृद्धि हुई है। वर्तमान में प्रतिदिन 3 से 4 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। ग्रामीणजन उनके घर से ही दूध 35 से 40 रुपए प्रति लीटर के दर पर खरीदते हैं। इससे श्री बुलबुलराम को प्रतिदिन लगभग 100 से 150 रुपए की नियमित आमदनी हो रही है। इसके साथ ही परिवार को शुद्ध एवं पौष्टिक दूध प्राप्त होने से उनके स्वास्थ्य में भी सुधार हुआ है।

 

आत्मनिर्भरता और सेवा भाव

आर्थिक रूप से सशक्त होने के बाद  बुलबुलराम ने समाजिक दायित्व का परिचय देते हुए एक गौवंशीय पशु का दान भी किया है, जो उनकी संवेदनशीलता और समुदाय के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

 

जैविक बाड़ी से होने वाला लाभ

 

पशुशेड बनने से गोबर एवं गौमूत्र को व्यवस्थित तरीके से एकत्रित करना संभव हो पाया। इसका उपयोग वे अपनी बाड़ी (रसोई उद्यान) में जैविक खाद के रूप में कर रहे हैं। बिना रासायनिक खाद के वे विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। इन सब्जियों की गाँव में अच्छी मांग है, जिससे उन्हें नियमित आय प्राप्त हो रही है। साथ ही परिवार को शुद्ध, जैविक एवं पौष्टिक सब्जियाँ घर पर ही उपलब्ध होती हैं। इससे बाजार से सब्जी खरीदने का खर्च भी बच रहा है, जो सीधे-सीधे आर्थिक लाभ में परिवर्तित हो रहा है।

 

मनरेगा समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचती योजना का लाभ

 

श्री बुलबुलराम और उनका सात सदस्यीय परिवार इस बात का सजीव उदाहरण है कि महात्मा गांधी नरेगा जैसी योजनाएँ ग्रामीण जीवन में कैसे व्यक्तिगत संपत्ति निर्माण, आजीविका सशक्तिकरण, पशुधन संरक्षण और पर्यावरण हितैषी जीवन शैली को मजबूती देती हैं। पशुशेड निर्माण ने  बुलबुलराम को एक आत्मनिर्भर पशुपालक, सफल दुग्ध उत्पादक, और जैविक सब्जी उत्पादक के रूप में स्थापित कर दिया है। आज वे दूध विक्रय, पशु विक्रय, जैविक सब्जी विक्रय, और गौवंशीय वृद्धि जैसे चार स्थायी आय स्रोतों का सृजन कर चुके हैं। यह सफलता कहानी सिद्ध करती है कि मनरेगा केवल मजदूरी उपलब्ध कराने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी संपत्ति निर्माण, शून्य अपशिष्ट प्रबंधन, एवं आजीविका उन्नयन की मजबूत आधारशिला है।

Advertisement Advertisement 2

Brajesh Gupta

Editor, cgnnews24.com

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button