छत्तीसगढ़ के कवर्धा समेत 6 जिलों का पानी जहरीला! रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता, बूंद-बूंद के लिए होंगे मोहताज!
छत्तीसगढ़ में कई लाख लोगों के जीवन पर संकट मंडरा रहा है। राज्य के कम से कम 6 जिलों में पीने के पानी में खतरनाक स्तर का यूरेनियम पाया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पीने के पानी में यूरेनियम की मात्रा 15 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक होना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक है, जबकि छत्तीसगढ़ के इन जिलों में यह स्तर चार गुना ज्यादा है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिन जिलों में पानी की जांच की गई है, उनमें दुर्ग, राजनांदगांव, कांकेर, बेमेतरा, बालोद और कवर्धा शामिल हैं। टेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, यहां के पानी में यूरेनियम का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक पाया गया है। बालोद के एक गांव से लिए गए नमूने में 130 माइक्रोग्राम प्रति लीटर और कांकेर से लिए गए एक अन्य नमूने में 106 माइक्रोग्राम प्रति लीटर यूरेनियम मिला है। औसतन, छह जिलों में यूरेनियम का स्तर 86 से 105 माइक्रोग्राम प्रति लीटर के बीच है।
WHO ने 2017 में यह सुझाव दिया था कि पीने के पानी में यूरेनियम का स्तर 15 माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के एक अध्ययन में कहा गया है कि 60 माइक्रोग्राम प्रति लीटर तक यूरेनियम सुरक्षित हो सकता है। लेकिन यदि पानी में यूरेनियम की मात्रा इससे अधिक होती है, तो वह पीने योग्य नहीं है और इसके सेवन से कैंसर, फेफड़ों की बीमारियां, त्वचा और गुर्दे की समस्याएं हो सकती हैं।
इस गंभीर रिपोर्ट के बाद गांवों में पानी का संकट उत्पन्न हो गया है। देवतरई गांव के सरपंच दानेश्वर सिन्हा ने बताया कि उनके गांव में पानी का कोई अन्य स्रोत नहीं है। उन्होंने कहा कि नया बोर खोला गया है, लेकिन उसकी गुणवत्ता की कोई जानकारी नहीं है।
देवतराई के रेड फ्लैग के बाद, सभी छह जिलों से नमूने भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) में भेजे गए थे, जहां पानी के सैंपल की टेस्टिंग की गई। वैज्ञानिकों ने छह जिलों में प्रत्येक में छह वर्ग किलोमीटर की सीमा से सैंपल लिए हैं, और रिपोर्ट ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को बढ़ा दिया है।
यूरेनियम की मात्रा है बहुत अधिक
भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने इस रिसर्च के लिए 6 जिलों में जीपीएस की मदद से 6 स्क्वेयर किलोमीटर का सैंपल लिया। इसी संस्थान ने पानी से यूरेनियम हटाने के लिये आंवले के पेड़ की छाल से एक खास यूरेनियम रिमूवल भी तैयार किया है।
पीएचई विभाग ने कही जांच की बात
बालोद पीएचई विभाग के ईई सुक्रान्त साहू ने कहा कि गांव के सभी जल स्रोतों से सैंपल लेकर बीआईटी दुर्ग में जांच के लिए भेजा जा रहा है। वहां से जैसे ही रिपोर्ट आएगी, आगे की कार्रवाई की जाएगी। भारत सरकार ने नेशनल यूरेनियम प्रोजेक्ट की कल्पना के तहत भाभा एटैमिक रिचर्स सेंटर से एक सर्वे कराया था, जिसमें इसकी पुष्टि हुई है।