कवर्धा, 19 अक्टूबर 2024। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री अरुण साव आज कवर्धा के पीजी कॉलेज मैदान में आयोजित स्वदेशी मेले के तीसरे दिन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उप मुख्यमंत्री साव ने भारत माता के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित की और दीप प्रज्वलित कर सांस्कृतिक कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने मेले में लगाए गए विभिन्न स्टॉल का अवलोकन करते हुए स्वदेशी उत्पादों की सराहना की और स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों के प्रयासों की प्रशंसा की। स्वदेशी मेला में स्कूली छात्राओं ने छत्तीसगढ़ी परंपरा और संस्कृति की शानदार प्रस्तुति दी। जिसमें राज्य की समृद्ध लोकसंस्कृति और रीति-रिवाजों को जीवंत कर दिया। उनकी प्रस्तुतियों में पारंपरिक छत्तीसगढ़ी लोकगीत, सुआ नृत्य, और विभिन्न नृत्य शामिल थे, जो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं। छात्राओं ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक परिधान पहनकर अपने नृत्य और गीतों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस दौरान डॉ अतुल जैन, बेमेतरा विधायक दीपेश साहू, पूर्व संसदीय सचिव डॉ. सियाराम साहू, मोतिराम चंद्रवंशी, कमल सोनी, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष विदेशी राम धुर्वे, संतोष पटेल, नंदलाल चंद्राकर, पूर्व जिला पंचायत सभापति मुकेश अग्रवाल, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अनिल ठाकुर, अतुल देशलहरा, जसविंदर बग्गा, कैलाश चंद्रवंशी, चंद्रप्रकाश चंद्रवंशी, सुनील दोशी, सनत साहू, मनीराम साहू जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि स्वदेशी मेले का उद्देश्य न केवल भारतीय उत्पादों को बढ़ावा देना है, बल्कि देश के स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता को भी सशक्त करना है। स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि यह मेला भारतीय संस्कृति, परंपरा और कौशल का प्रतीक है, जो हमारे गौरवशाली इतिहास और विरासत को पुनर्जीवित करता है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी उत्पादों को अपनाकर हम देश को आर्थिक रूप से मजबूत बना सकते हैं और “आत्मनिर्भर भारत” के सपने को साकार कर सकते हैं। स्वदेशी मेले का आज तीसरा दिन है, और इसमें उमड़ा जन सैलाब इस बात का प्रमाण है कि मेला सफल रहा है। उन्होंने बताया कि वे लंबे समय से स्वदेशी मेले से जुड़े हुए हैं। स्वदेशी मेले की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि मेले में 150 स्टॉल हैं, जहां देश के विभिन्न राज्यों और स्थानीय व्यापारियों ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए हैं। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से भारत दुनिया को ज्ञान, विज्ञान और शिक्षा प्रदान करता रहा है। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय पूरी दुनिया में विख्यात थे। भारत ने वेद, पुराण जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथ दिए, और इसी कारण इसे सोने की चिड़िया और विश्व गुरु कहा जाता था।
उपमुख्यमंत्री साव ने कहा कि आज देश आत्मनिर्भर भारत और एक भारत श्रेष्ठ भारत की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, और 21वीं सदी भारत की सदी बनने जा रही है।उन्होंने कहा कि मुगलों और अंग्रेजों के शासनकाल में देश के स्वाभिमान को क्षति पहुंची। महात्मा गांधी ने इस बात को समझा और विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर स्वदेशी आंदोलन का आरंभ किया ताकि देश का स्वाभिमान पुनः जाग्रत हो सके। उन्होंने बताया कि लार्ड मैकॉले की शिक्षा पद्धति ने हमारे स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई थी, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति द्वारा इस कमी को दूर करने का प्रयास किया गया। अयोध्या में 500 सालों तक संघर्ष करने का बाद भगवान श्री राम लला मंदिर का निर्माण किया गया। श्रीराम मंदिर का निर्माण और काशी विश्वनाथ का पुनरुद्धार भी हमारी खोई हुई विरासत को वापस पाने के प्रतीक हैं। आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, और यह मोदी जी के नेतृत्व में संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी का संबंध केवल वस्त्रों या सामग्रियों से नहीं, बल्कि यह हमारे आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान भारत ने न केवल अपने नागरिकों के लिए वैक्सीन बनाई, बल्कि 110 से अधिक देशों को भी टीके प्रदान किए।
विधायक बेमेतरा दीपेश साहू ने कहा कि स्वदेशी मेला का आयोजन से लोगों को अपने देश से जोड़ रहा है। हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वदेशी को लेके आगे बढ़ रहे है। आज मेला में अलग–अलग दुकान डर सम्मिलित हुए है। मोदी स्थानीय उत्पाद मेक इन इंडिया को बढ़ावा दे रहे है। मोदी सपना को सोच के आगे बढ़ रहे है उसे पूरा करना है। मोदी 2042 तक विकसित भारत का सपना देश रहे है। इसके लिए स्थानीय उत्पाद पर जोर दे रहे है। जिससे लोगों को रोजगार मिलेगा और हमारा देश आत्मनिर्भर की दिशा में आगे बढ़ सकेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ अतुल जैन ने कहा कि स्वदेशी मेला कवर्धा के अंचल में पहली बार हो रहा है और अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे रोजमर्रा के जीवन में उपयोग होने वाली छोटी छोटी चीजें का उपयोग करते है वह स्वदेशी हो इसका प्रयास करना चाहिए।