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छत्तीसगढ़ के अरुण शर्मा के सबूत बने राममंदिर की नींव

खुदाई में मिले अवशेषों पर किया था रिसर्च; बोले- अब रामलला के दर्शन की इच्छा

अब बस रामलला के दर्शन की इच्छा है। अगर गाड़ी में कोई लेकर जाए तो मैं चला जाऊंगा’

अब अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। शर्मा की मांग पर ही अयोध्या में खुदाई करवाई गई थी। उन्होंने ही खुदाई में मिले अवशेषों के रिसर्च के आधार पर कोर्ट में मंदिर होने के सबूत पेश किए थे। यही सबूत फैसले में प्रमुख आधार बने।

अरुण शर्मा, रायपुर के चंगोराभाठा इलाके में रहते हैं। हम उनके घर पहुंचे तो उन्होंने खुदाई से सबूतों तक की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि, किस तरह वे संदूक भरकर कोर्ट में रामायण काल की ईंटें, शिलालेख और मूर्तियां लेकर गए, और उसे सबूत के तौर पर पेश किया।

अयोध्या केस के एविडेंस पर लिखी किताब के साथ अरुण शर्मा
अयोध्या केस के एविडेंस पर लिखी किताब के साथ अरुण शर्मा

पहले कोई मान ही नहीं रहा था कि मंदिर था

अरुण शर्मा कहते हैं कि उनके जीवित रहते मंदिर बनकर तैयार हो रहा है, इस बात की खुशी है। पहले तो कोई ये मान ही नहीं रहा था कि यहां कभी मंदिर था। खुदाई में राम चबूतरा, स्वास्तिक की मुहर और गंगा-यमुना की मूर्तियां सहित अन्य शिलालेख निकले।

अशोक सिंघल ने कहा पुरातात्विक टीम का हिस्सा बनने

अरुण शर्मा के भतीजे डॉ. सुधीर शर्मा बताते हैं कि, राम जन्मभूमि की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विश्व हिन्दू परिषद से मंदिर के सबूत जुटाने को कहा और पहली बार खुदाई की अनुमति भी दी। इसके बाद VHP अध्यक्ष अशोक सिंघल रायपुर आए थे।

उन्होंने बताया कि अशोक सिंघल ने कही अरुण शर्मा से अयोध्या में खुदाई टीम का हिस्सा बनने के लिए कहा। उस समय शर्मा छत्तीसगढ़ के ही पुरातात्विक स्थल सिरपुर में चल रहे रिसर्च टीम का हिस्सा थे। इस मुलाकात के बाद शर्मा दिल्ली पहुंचे।

अरुण शर्मा ने 3 अगस्त 2003 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के डॉ. एसपी गुप्ता और केएन दीक्षित से मुलाकात की। अरुण शर्मा ने बताया कि, जब खुदाई की गई और फिर मंदिर के अवशेष निकलने लगे तब ही उन्हें पता लग गया था कि इन सबूतों को कोई झुठला नहीं पाएगा।

पुरातात्विक अवशेषों का अध्ययन कर इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिसर्च पेश किया। यहां तमाम दलीलों और तर्कों के बावजूद पुरातात्विक साक्ष्य विश्वसनीय पाए गए। जिसे विरोधी दलों के विशेषज्ञों ने भी स्वीकार किया। इसके बाद इन्हीं सबूतों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना फैसला सुनाया।

खुदाई में मिले शिलालेख।
खुदाई में मिले शिलालेख।

संदूकों में भरकर लेकर जाते थे सबूत

अरुण शर्मा बताते हैं कि कोर्ट में ऋग्वेद से लेकर हिंदू मंदिरों की बनावट और शैली को लेकर लिखी गई कई किताबों का संदर्भ दिया। कई बार किसी एक ही अवशेष के बारे में सबूत पेश करने के लिए ढेर सारे दस्तावेजों को पेश करना होता था, ऐसे में संदूकों में सारे दस्तावेज कोर्ट ले जाने पड़ते थे।

उन्होंने बताया कि खुदाई में मिली गंगा-यमुना और मगर की मूर्ति को हिन्दू मंदिर का साबित करने के लिए ऋग्वेद से लेकर मंदिरों पर लिखी गई करीब 52 पुस्तकों का अध्ययन कर दस्तावेज एकत्र किया गया।

अयोध्या के साक्ष्यों पर लिखी किताब ‘आर्कियोलॉजिकल एविडेंस इन अयोध्या केस’

अयोध्या मामले में खुदाई के दौरान जितने भी साक्ष्य मिले, उस पर एक किताब ‘आर्कियोलॉजिकल एविडेंस इन अयोध्या केस’ नाम की किताब भी अरुण शर्मा ने लिखी है। ये किताब अंग्रेजी भाषा में लिखी है और शर्मा ने इसके हिन्दी अनुवाद की भी अनुमति दे दी है। इस किताब के आधार पर अयोध्या में मिले सबूतों को हम बता रहे हैं।

तस्वीरों में देखिए खुदाई में क्या-क्या मिले

खुदाई से पहले राम जन्मभूमि।
खुदाई से पहले राम जन्मभूमि।
खुदाई करने के बाद कुछ इस तरह का आकार सामने आया।
खुदाई करने के बाद कुछ इस तरह का आकार सामने आया।
खुदाई के दौरान मिला राम चबूतरा।
खुदाई के दौरान मिला राम चबूतरा।
खुदाई में मिली टेराकोटा की मूर्तियां।
खुदाई में मिली टेराकोटा की मूर्तियां।
स्वास्तिक आकार की मुहर भी खुदाई में मिली।
स्वास्तिक आकार की मुहर भी खुदाई में मिली।
प्राचीन मंदिरों में दिखाई देने वाले स्तंभ भी खुदाई में निकले।
प्राचीन मंदिरों में दिखाई देने वाले स्तंभ भी खुदाई में निकले।
गुप्त पीरियड स्थल और राम चबूतरा।
गुप्त पीरियड स्थल और राम चबूतरा।

Brajesh Gupta

Editor, cgnnews24.com

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