कबीरधामकवर्धा

छत्तीसगढ़ की सरकारी भर्तियों में कैसे हुई गड़बड़ी

फिजिकल में उसैन बोल्ट का रिकॉर्ड टूटा, नेता-अफसर के बेटे-बेटी बने डिप्टी कलेक्टर

छत्तीसगढ़ के कवर्धा के रहने वाले अखिलेश वर्मा की उम्र 28 साल हो चुकी है। माता-पिता किसान हैं, मुश्किल से पढ़ाई का खर्च चलता है। CG-PSC 2022 की प्रीलिम्स परीक्षा पास की थी, पेपर अच्छा गया था, लेकिन मेन्स में फेल हो गए।

बाद में पता चला कि गड़बड़ी हुई है। सिलेक्ट हुए कैंडिडेट में 18 ऐसे नाम सामने आए, जो किसी नेता, मंत्री और अधिकारी के करीबी थे। मामला फिलहाल कोर्ट में है, भर्ती रुक गई है।

भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी सिर्फ CG-PSC से जुड़ी नहीं है। बेमेतरा के रहने वाले और नेशनल लेवल रनर रहे राहुल जो कहानी सुनाते हैं, वो तो होश उड़ाने वाली है। 20 मई 2023 को कवर्धा में फॉरेस्ट गार्ड की जॉब के लिए फिजिकल टेस्ट हुआ था। राहुल ने भी टेस्ट दिया। रिजल्ट आया तो दो रनर्स ने 200 मीटर में इंटरनेशनल रनर उसैन बोल्ट का ही रिकॉर्ड तोड़ दिया था। सवाल उठे, तो परीक्षा रद्द हो गई।

ये सिलसिला प्लाटून कमांडर, शिक्षक भर्ती और पुलिस भर्ती के लिए हुई परीक्षाओं में भी जारी है। शिक्षक भर्ती में आरोप लगा कि 99 ऐसे लोगों का नाम लिस्ट में डाल दिया गया है, जो परीक्षा में ही नहीं बैठे थे।

इस बार छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में सरकारी नौकरियों में गड़बड़ी बड़ा मुद्दा था। BJP ने कई बार प्रदर्शन भी किया था। अब स्टेट में BJP सत्ता में आ चुकी है, ऐसे में क्या सरकारी नौकरियों में गड़बड़ी का मुद्दा पार्टी की प्राथमिकता में रहेगा?

दैनिक भास्कर ग्राउंड पर पहुंचा और समझा कि भर्ती में किस तरह गड़बड़ी की गई। पढ़िए ये ग्राउंड रिपोर्टः

सबसे पहले बात CG-PCS की

आंसर एक, नंबर दिए अलग-अलग, गलत उत्तर पर भी मिले मार्क्स
राजधानी रायपुर से 117 किमी दूर है बिलासपुर। रायपुर से यहां सड़क मार्ग से 2 घंटे में पहुंचा जा सकता है। बिलासपुर को राज्य का कोचिंग हब कहा जाता है। शहर के गांधी चौक इलाके में सैकड़ों कोचिंग सेंटर्स चल रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में जगह-जगह कोचिंग सेंटर खुले हैं। यहां पढ़ाई का खर्चा 50 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक है।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में जगह-जगह कोचिंग सेंटर खुले हैं। यहां पढ़ाई का खर्चा 50 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक है।

यहां CG-PSC के अलावा सब-इंस्पेक्टर, शिक्षक भर्ती और इंडियन आर्मी में भर्ती के लिए परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। कोचिंग सेंटर्स के आस-पास बुक शॉप्स हैं, जहां किताबें और नोट्स मिलते हैं। देखने में ये जगह दिल्ली के मुखर्जी नगर जैसी ही है। छानबीन करते पर पता चलता है कि इलाके में रहने का एक महीने का खर्चा करीब-करीब 10 हजार रुपए तक आता है।

कोचिंग सेंटर्स के आस-पास छोटे-छोटे कमरों में एग्जाम्स की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स शेयरिंग में रहते हैं। एक कमरे में 3 से 4 लोग रह रहे हैं।
कोचिंग सेंटर्स के आस-पास छोटे-छोटे कमरों में एग्जाम्स की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स शेयरिंग में रहते हैं। एक कमरे में 3 से 4 लोग रह रहे हैं।

अखिलेश वर्मा कवर्धा के रहने वाले हैं। उनके पिता खेती करते हैं। वे बीते दो साल से बिलासपुर में रहकर CG-PSC परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। इसके तहत DSP, डिस्ट्रिक्ट एक्साइज ऑफिसर, ट्रांसपोर्ट सब-इंस्पेक्टर, एक्साइज सब-इंस्पेक्टर जैसे पदों के लिए भर्ती होती है।

अखिलेश ने प्रीलिम्स भी निकाला था, लेकिन दोनों साल परीक्षा में कोई न कोई गड़बड़ी सामने आती रही। 2021 में रिजल्ट आया, तो आरोप लगे कि कांग्रेस के नेताओं और अधिकारियों के रिश्तेदारों का सिलेक्शन कर लिया गया है। साल 2022 के रिजल्ट के बाद कैंडिडेट्स ने आरोप लगाया है कि कॉपी चेकिंग में गड़बड़ी की गई है। कुछ लोगों के गलत जवाब पर भी नंबर दे दिए गए हैं।

आरोप है कि CG-PSC के चेयरमैन टामन सिंह ने रिटायरमेंट से पहले अपनों को फायदा पहुंचाने के लिए सिर्फ 45 दिन में परीक्षा खत्म कराई। यह परीक्षा तीन फेज- प्रीलिम्स, मेन्स और इंटरव्यू में ली जाती है। आरोप है कि एक ही आंसर के लिए अलग-अलग नंबर दिए गए। कुछ कॉपियों में गलत जवाब देने पर भी नंबर दिए गए हैं।

दोनों कॉपियों में सवाल का एक ही जवाब दिया गया है, पर ऊपर वाली कॉपी में इसके लिए एक नंबर और नीचे वाली कॉपी में दो नंबर दिए गए।
दोनों कॉपियों में सवाल का एक ही जवाब दिया गया है, पर ऊपर वाली कॉपी में इसके लिए एक नंबर और नीचे वाली कॉपी में दो नंबर दिए गए।

गड़बड़ी का विरोध कर रहे कैंडिडेट्स 19 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास गए थे। सुनवाई नहीं हुई, तो हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गई। टामन सिंह ने रिजल्ट जारी होने के दूसरे ही दिन 8 सितंबर, 2023 को पद से इस्तीफा दे दिया था।

अखिलेश बताते हैं, ‘साल 2021 और 2022 में CG-PSC को लेकर दो अलग विवाद हुए हैं। राजनीतिक गलियारों और मीडिया ने इसे ऐसे पेश किया कि ये एक घोटाला है। 16 अगस्त, 2023 को साल 2022 के नोटिफिकेशन का रिजल्ट आया था।

सिर्फ एक दिन बाद ही यानी 17 अगस्त को इंटरव्यू का शेड्यूल जारी कर दिया गया। बताया गया कि 24 अगस्त से इंटरव्यू की प्रोसेस शुरू होगी। इंटरव्यू की तैयारी के लिए सिर्फ 8 दिन का समय ही दिया गया। ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ है।’

सही जवाब या तो काट दिए गए या फिर जीरो नंबर दिए
अखिलेश और आरोप लगाने वाले दूसरे कैंडिडेट्स के मुताबिक, ‘CG-PSC प्रेसिडेंट टामन सिंह सोनवानी सितंबर में रिटायर होने वाले थे। वे आखिरी बार अपने लोगों को फायदा पहुंचाना चाहते थे। मेन्स की कॉपी जल्दबाजी में चेक की गई, जबकि नियम के मुताबिक ये तीन बार यानी एग्जामिनर, डिप्टी एग्जामिनर और हेड एग्जामिनर को चेक करनी होती हैं।’

अखिलेश और अन्य छात्रों ने इसकी शिकायत आयोग से की तो जवाब में उनसे कहा गया कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर पोस्ट की गईं कुछ आंसर शीट के आधार पर हम हजारों-लाखों बच्चों की कॉपियां चेक नहीं करा सकते।

अखिलेश का कहना है कि आंसर शीट पर बार कोड रहता है। यह उस कॉपी की विशिष्टता का प्रमाण है। इन्हें चेक करना मुश्किल नहीं है।

‘हिंदी के एग्जाम में अपठित गद्यांश का सवाल आता है। हर बार उसमें एक प्रश्न आता है कि गद्यांश का शीर्षक लिखिए। मेरी कॉपी को मिलाकर मेरे पास तीन और लोगों की कॉपी है, जिन्होंने शीर्षक में ‘राष्ट्र भाषा हिंदी’ लिखा है। मुझे उसमें जीरो नंबर मिला है। बाकियों को एक नंबर मिला है। यह चेकिंग का कौन सा पैमाना है?

‘मैं कोई आरोप नहीं लगा रहा हूं। मेरा सवाल है कि तीनों एग्जामिनर इस गलती को नहीं देख पाए। क्या वे होश में थे या पेपर एक ही एग्जामिनर चेक करता है? एक छात्र ने कूनो नेशनल पार्क असम में बताया था। उसे इस गलत जवाब देने पर भी एक नंबर दिया गया है।’

छानबीन में सामने आया है कि जो कैंडिडेट आंसर देकर आए हैं, उनके जवाब को काटकर ‘नॉट एप्लिकेबल’ भी लिख दिया गया है। सही जवाब के बावजूद जीरो नंबर दिए गए हैं।

अखिलेश सवाल उठाते हैं, ‘आयोग ने पहली बार 45 दिन में परीक्षा खत्म कराकर फाइनल लिस्ट भी जारी कर दी। अब हम उन्हें री-चेकिंग के लिए कहते हैं, तो वे मना कर रहे हैं। हम केवल उन कॉपियों की री-चेकिंग की डिमांड कर रहे हैं, जिन पर सवाल उठ रहे हैं।’

‘वो सैकड़ों कैंडिडेट जो सिलेक्ट हो सकते थे, उनके जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उस वक्त मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल बार-बार कहते रहे कि उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है, जबकि हम कई बार उनके आवास पर गए हैं।’

टामन सिंह सोनवानी और कांग्रेस नेताओं पर उठ रहे सवाल
अब आते हैं साल 2021 के CG-PSC एग्जाम पर। इस परीक्षा में डीएसपी, डिस्ट्रिक्ट एक्साइज ऑफिसर समेत 20 कैटेगरी में 171 पदों पर भर्ती परीक्षा होनी थी। ये परीक्षा 13 फरवरी 2022 को कराई गई। पहले फेज की परीक्षा, यानी प्रीलिम्स में कुल 2,565 कैंडिडेट पास हुए थे।

26, 27, 28 और 29 मई 2022 को मेन्स की परीक्षा हुई। 509 कैंडिडेट्स का सिलेक्शन हुआ था। इन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। 11 मई, 2023 को परीक्षा का फाइनल रिजल्ट जारी हुआ। इस लिस्ट में 170 अभ्यर्थियों के नाम थे।

आरोप है कि चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी, राजभवन सेक्रेटरी अमृत खलको समेत कई अधिकारियों के बेटे-बेटियों और करीबी रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर और DSP जैसे पदों पर भर्ती दी गई।

परीक्षा में 18 अभ्यर्थियों के सिलेक्शन पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इस मामले में BJP नेता ननकी राम कंवर के एडवोकेट संजय अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

याचिका में इन लोगों की भर्ती पर रोक लगाने की बात कही गई है। कोर्ट में दाखिल चार्जशीट के मुताबिक चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के 5 रिश्तेदारों का सिलेक्शन हुआ है। उनके बेटे नितेश की नियुक्ति डिप्टी कलेक्टर के पद पर की गई है और उनके सरनेम को छिपाया गया है।

बहू निशा कोशले का सिलेक्शन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हुआ है। टामन सिंह के भाई की बहू दीपा अजगले आदिल की नियुक्ति जिला आबकारी अधिकारी और बहन की बेटी सुनीता जोशी को श्रम अधिकारी बनाया गया है। बड़े भाई के बेटे साहिल का चयन डीएसपी के पद पर हुआ है। साहिल का भी सरनेम छिपा लिया गया है।

CG-PSC आयोग के सचिव के रिश्तेदार सुमित ध्रुव की डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्ति हुई है। राज्यपाल के सचिव अमृत खलको की बेटी नेहा खलको डिप्टी कलेक्टर सिलेक्ट हुई हैं। उनके बेटे निखिल खलको डिप्टी कलेक्टर हैं।

बस्तर नक्सल ऑपरेशन के DIG जीवन किशोर ध्रुव की बेटी साक्षी ध्रुव डिप्टी कलेक्टर, कांग्रेस नेता के ओएसडी के रिश्तेदार की बेटी प्रज्ञा नायक और बेटे प्रखर नायक डिप्टी कलेक्टर और एक अन्य कांग्रेस नेता की बेटी अनन्या अग्रवाल डिप्टी कलेक्टर के पद पर सिलेक्ट हुए हैं।

कांग्रेस नेता सुधीर कटियार के दामाद शशांक गोयल डिप्टी कलेक्टर, उनकी बेटी भूमिका कटियार डिप्टी कलेक्टर, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला की बेटी स्वर्णिम शुक्ला डिप्टी कलेक्टर बनी हैं। एक और कैंडिडेट खुशबू बिजौरा डिप्टी कलेक्टर बनी हैं, ये भी सवालों के घेरे में हैं।

फिलहाल अदालत ने 18 लोगों की लिस्ट में से तीन लोगों को राहत दी है। प्रज्ञा नायक कांग्रेस नेता के ओएसडी के रिश्तेदार की बेटी हैं। नितेश, तामण सिंह सोनवानी के गोद लिए बेटे हैं, यानी दोनों का किसी अधिकारी के साथ सीधा रिश्ता नहीं है। वहीं, तामण सिंह सोनवानी की बहू निशा कोशले का सिलेक्शन साल 2020 की परीक्षा में हुआ था। बाकी 15 नामों पर अदालत में सुनवाई चल रही है।

अब सब इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर भर्ती की बात…
30 साल के सोनू डनसेन रायगढ़ के रहने वाले हैं। वे सब-इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर भर्ती से जुड़े गड़बड़ी के मामले पर कोर्ट में केस लड़ रहे हैं। सोनू बताते हैं, ‘मैं 6 साल से सब-इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए तैयारी कर रहा हूं। 24 अगस्त 2018 को फॉर्म निकला था। सब इंस्पेक्टर, प्लाटून कमांडर और सूबेदार मिलाकर 655 पदों पर भर्ती निकली थी।’

‘भर्ती के नियम में बताया गया था कि सब इंस्पेक्टर के लिए प्रीलिम्स, मेंस, फिजिकल और फिर इंटरव्यू होगा। 24 अक्टूबर 2018 तक इस भर्ती के लिए आवेदन लिए गए।’

इसी बीच राज्य में विधानसभा चुनाव शुरू हो गया। भर्ती की प्रक्रिया पर ब्रेक लग गया। अगले दो साल तक सरकार को याद ही नहीं रहा कि इस भर्ती के लिए परीक्षा करानी है। कई आंदोलन के बाद साल 2021 में वापस फॉर्म भरवाया गया।

28 साल की तेजस्विनी जसपुर की रहने वाली हैं। वे पिछले 5 साल से बिलासपुर में रहकर SI और PSC के एग्जाम के लिए तैयारी कर रही हैं। तेजस्विनी बताती हैं, ‘हमने साल 2018 में SI भर्ती का फॉर्म भरा था। हमने कई आंदोलन किए। छात्रों के दबाव के बाद साल 2021 में इस फॉर्म को फिर से भरवाया गया। इस बार पदों की संख्या बढ़ाकर 975 कर दी गई।’

‘29 जनवरी 2023 को प्रीलिम्स एग्जाम हुआ। 26 और 27 मई को मेन्स की परीक्षा करवाई गई। व्यापमं ने इस परीक्षा को पूरा करवाया था। प्रीलिम्स की लिस्ट में अभ्यर्थियों के रोल नंबर के साथ उनके मार्क्स भी दिए गए थे। मेन्स की परीक्षा के बाद ऐसा पहली बार हुआ कि नंबर नहीं बताए गए, सिर्फ सिलेक्टेड कैंडिडेट्स के रोल नंबर की लिस्ट जारी कर दी।’

नियमों के मुताबिक प्लाटून कमांडर का पद सिर्फ पुरुषों के लिए आरक्षित रहता है। महिलाएं इसके लिए एलिजिबल नहीं है, लेकिन लिस्ट में कई महिलाओं के भी रोल नंबर थे। इस पर विवाद हो गया।

तेजस्विनी समझाती हैं, ‘सिर्फ रोल नंबर की लिस्ट जारी की गई थी इसलिए हमें नहीं पता था किस-किस का सिलेक्शन हुआ है।’

इस मामले पर सोनू डनसेन कहते हैं, ‘प्लाटून कमांडर के पद के लिए सिर्फ मेल कैंडिडेट चुने जाने थे। सरकार और आयोग के स्तर पर या तो गड़बड़ी हुई या फिर जल्दबाजी में 1840 मेल कैंडिडेट प्रीलिम्स से ही बाहर कर दिए गए। 4 फीमेल कैंडिडेट चुन ली गईं। इस मामले में हम अदालत में 122 केस लड़ रहे हैं।’

कैंडिडेट पर नजर रखता है आयोग, विरोध में बोले तो नहीं होगा सिलेक्शन
इस परीक्षा में बैठने वाले कैंडिडेट्स का आरोप है कि व्यापमं ने परीक्षा करवाने में 5 साल लगा दिए। DGP पर आरोप है कि उन्होंने ही रिजल्ट की लिस्ट को लटकाकर रखा था। पुलिस मुख्यालय में रिजल्ट में नामों से छेड़छाड़ हुई। ऑब्जेक्शन के बावजूद 21 जून को रिजल्ट जारी कर दिया गया।

सोनू बताते हैं, ‘कैंडिडेट खुलकर नहीं बोल पाते हैं। आयोग उन्हें वॉर्निंग नोटिस भेज देता है। 2018 की सब इंस्पेक्टर भर्ती के दौरान फिजिकल टेस्ट हुआ था। एक कैंडिडेट को 96 नंबर मिले थे। वो इंटरव्यू के लिए क्वालिफाई कर गया था। अगले दिन उसे बुलाकर साइन करवाया गया कि उसे 96 नहीं 94 नंबर मिले हैं। इस तरह से नंबर में फेरबदल किया जाता है, ताकि अपने भाई- बहन, भतीजे को ज्यादा नंबर देकर सिलेक्ट कराया जा सके।

कैंडिडेट्स के मुताबिक, SI भर्ती की कीमत 25 लाख रुपए होती है। डीएसपी, डिप्टी कलेक्टर के लिए 75 लाख रुपए और सीएमओ भर्ती के लिए 40 लाख रुपए मांगे जाते हैं। अफसरों को पता है कौन पैसा दे सकता है।

एक कैंडिडेट कहते हैं, ‘हम गरीब लोग हैं। किसान परिवार से आते हैं। हम बिना कर्जा लिए पढ़ भी नहीं सकते। हमें फोन नहीं आते, लेकिन अमीरों के घर धांधली कर सिलेक्शन करवाने वालों के फोन सीधे आ जाते हैं।’

फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती में तो उसैन बोल्ट का वर्ल्ड रिकॉर्ड टूट गया
बिलासपुर में ही हमारी मुलाकात राहुल से हुई। राहुल बेमेतरा के रहने वाले हैं। गांव में उनके पिता पान की दुकान चलाते हैं। उनकी दो बड़ी बहने भी हैं। पिता हर महीने 10 हजार रुपए कमाते हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए परिवार के सभी बच्चे सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करने लगे। बड़ी बहन सरकारी स्कूल में टीचर हैं। राहुल बिलासपुर में एक छोटे से कमरे में अलग-अलग परीक्षाओं की तैयारी करते हैं।

राहुल नेशनल लेवल के रनर और जूडो-कराटे के खिलाड़ी हैं। उन्होंने फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती के लिए फॉर्म भरा था। इसी साल 20 मई को कवर्धा में फॉरेस्ट गार्ड की इस भर्ती का फिजिकल हुआ। यहां कुछ ऐसा हुआ, जिस पर भरोसा करना मुश्किल है। 200 मीटर की दौड़ में ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट उसैन बोल्ट का रिकॉर्ड टूट गया।

उर्मिला नाम की कैंडिडेट ने 200 मीटर की दौड़ 14.07 सेकेंड और उज्जवल सिन ने 19.6 सेकेंड में पूरी कर दी, जबकि बोल्ट का रिकॉर्ड 19.19 सेकेंड का है। बाद में DFO ने अपनी सफाई में कहा है कि रीडिंग में गलती हुई है, इसलिए ऐसे नतीजे आ गए। फिर ये परीक्षा कैंसिल हो गई।

राहुल बताते हैं, ‘परिवार में मैं अकेला लड़का हूं। साल 2016 से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूं। बहनों की शादी हो गई है। वे ही मेरा बिलासपुर में पढ़ने का खर्चा उठाती हैं।’

‘फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती के लिए फिजिकल दिया था, जिसमें उसैन बोल्ट का रिकॉर्ड टूटा था। आप सोचिए किस लेवल पर घोटाला हो रहा है। हम सरकार से अपील करते रहे, लेकिन वो हमारी नहीं सुनती। अब हमने भी उम्मीद रखना छोड़ दिया है।’

शिक्षक भर्ती की कहानी भी अलग नहीं
विकास गुप्ता छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के रहने वाले हैं। वह साल 2016 से बिलासपुर में रहकर शिक्षक भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने 2019 में शिक्षक भर्ती का एग्जाम क्लियर कर लिया था, प्रोविजनल जॉइनिंग लेटर भी मिल गया, लेकिन आज तक स्कूल अलॉट नहीं हुआ।

2019 के बाद अब 2023 में फिर शिक्षक भर्ती निकली है, लेकिन पिछली भर्ती के लोगों को ही अब तक स्कूल नहीं मिल पाए हैं।

इतना ही नहीं, साल 2023 में 6500 पदों के लिए सहायक शिक्षक भर्ती निकाली गई, उस पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। वजह ये है कि सरकार ने छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षक (भर्ती तथा शैक्षणिक संवर्ग) भर्ती नियम, 2019 में ही बदलाव कर दिया है।

4 मई 2023 को संशोधन किया गया कि सहायक शिक्षक की भर्ती के लिए कैंडिडेट के पास बीएड या डीएड की डिग्री होना चाहिए। इससे पहले सिर्फ डीएड की डिग्री अनिवार्य थी। छात्रों ने इस नियम को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
4 मई 2023 को संशोधन किया गया कि सहायक शिक्षक की भर्ती के लिए कैंडिडेट के पास बीएड या डीएड की डिग्री होना चाहिए। इससे पहले सिर्फ डीएड की डिग्री अनिवार्य थी। छात्रों ने इस नियम को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

विकास गुप्ता बताते हैं, ‘प्राथमिक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए डीएड में विशेष ट्रेनिंग दी जाती है। यह पहली से 5वीं के बच्चों को पढ़ाने के लिए होती है। बीएड इससे सीनियर क्लासेज को पढ़ाने की ट्रेनिंग होती है। बिहार और राजस्थान में बीएड को हटा दिया गया था।’

‘इसी आधार पर 11 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने भी इस परीक्षा के लिए बीएड किए लोगों को एलिजिबल नहीं माना। बावजूद इसके रिजल्ट जारी कर दिया गया और जॉइनिंग दे दी गई। जॉइनिंग लेटर पर लिख दिया गया है, इस पद पर भर्ती हाईकोर्ट के अधीन है। इसकी अगली सुनवाई 28 नवंबर को है।’

विकास गुप्ता आरोप लगाते हैं, ‘इसमें मध्यप्रदेश का माखनलाल चतुर्वेदी, कृष्णा कॉलेज और सरदार पटेल यूनिवर्सिटी का नाम शामिल है। ये यूनिवर्सिटीज बैक डेट में सर्टिफिकेट बनाकर देती हैं। जो सीटें किसी बैच में खाली बच जाती हैं, उन पर सर्टिफिकेट बनाया जाता है। इसके लिए बिलासपुर और भिलाई में एजेंट एक लाख रुपए से लेकर दो लाख रुपए तक डिमांड करता है।’

सरकारी एग्जाम्स में कैसे चल रही है धांधली…
इतनी सारी परीक्षाओं में धांधली से जुड़ी कहानियां सुनने के बाद बस एक सवाल सामने था कि आखिर ये सब हो कैसे रहा है। तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स इस धांधली के बारे में जानते सब हैं, लेकिन कोई भी कैमरे पर आकर बताने से डरता है, क्योंकि आज नहीं तो कल उन्हें नौकरी CG-PSC से ही चाहिए। उन्हें डर है कि वह आयोग की नजर में आ गए तो उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।

काफी कोशिश के बाद बिलासपुर में एक कैंडिडेट चेहरा छिपाकर और आवाज बदलने की शर्त पर बात करने के लिए राजी हुआ। जीतू (बदला हुआ नाम) ने हमें नेता, उद्योगपति और एजेंट के बीच चल रहे खेल के बारे में बताया।

जीतू भी पिछले तीन साल से बिलासपुर में रहकर CG-PSC की कोचिंग ले रहे हैं। इस साल इंटरव्यू से पहले उन्हें भी एक एजेंट का कॉल आया था। उसने एक हफ्ते में 40 लाख रुपए देने के लिए कहा था। जीतू के पास इतने पैसे नहीं थे। हालांकि, वे आज भी डरे हुए हैं कि ऐसे एजेंट्स के पास उनका नंबर है।

27 साल के जीतू ने हमें बताया कि सब कुछ फिक्स होता है। यह एक सिस्टम है। प्रीलिम्स के बाद मेन्स की लिस्ट बनती है। उसी समय एजेंट उन कैंडिडेट्स को टारगेट करना शुरू कर देते हैं। मेन्स के बाद इंटरव्यू के लिए सिलेक्ट हुए कैंडिडेट्स की लिस्ट आयोग से निकाली जाती है। इस लिस्ट में मौजूद कैंडिडेट्स को एजेंट फोन कर पैसा मांगते हैं, नहीं तो फेल होने की धमकी देते हैं।

एजेंट पैसे वाले या फिर नेता, अधिकारी या उद्योगपति से जुड़े कैंडिडेट को ज्यादा टारगेट करते हैं। डिप्टी कलेक्टर के लिए 75 लाख रुपए और उससे नीचे के पदों के लिए 30 से 50 लाख रुपए मांगे जाते हैं।

एजेंट को पता रहता है कौन कितना पैसा देने में सक्षम है। उसी हिसाब से इंटरव्यू में नंबरों का फेरबदल किया जाता है। इससे ये होता है कि पैसा देने वालों का नाम लिस्ट में आता है और हम जैसों का हटा दिया जाता है।

IAS अफसर बोले- भर्तियों में करप्शन टामन सिंह ने सबसे ज्यादा बढ़ाया
छत्तीसगढ़ सरकार हो या सरकारी मशीनरी, कोई भी इस मसले पर खुलकर नहीं बोलना चाहता। छत्तीसगढ़ में नियुक्त एक IAS अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं, ‘टामन सिंह सोनवानी ने सरकारी भर्ती में जारी भ्रष्टाचार को सबसे ज्यादा बढ़ावा दिया। आयोग के भीतर चल रहा ये पूरा सेटअप बनाने में सोनवानी और अधिकारियों की मिलीभगत है।’

छत्तीसगढ़ में 15 से 34 साल उम्र वाली आबादी कुल आबादी का करीब 36% है, रजिस्टर्ड बेरोजगार भी करीब 17 लाख से ज्यादा हैं। सरकारी परीक्षाओं में लगातार गड़बड़ी सामने आ रही है, इसी वजह से BJP ने इसे इलेक्शन में मुद्दा बनाया था।

Brajesh Gupta

Editor, cgnnews24.com

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