कबीरधामकवर्धा

कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे ने शीतलहर एवं ठंड से बचाव के लिए जारी किया दिशा-निर्देश

’’क्या करें-क्या न करें’’ के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी

कवर्धा, 04 जनवरी 2023। कलेक्टर श्री जनमेजय महाबे ने शीत लहर से स्वास्थ्य, कृषि, पशुपालन, खाद्य एवं आर्थिक गतिविधियों के लिए विभाग प्रमुखों को विशेष तैयारियों के लिए ’’क्या करें-क्या न करें’’ के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किया है।
जारी दिशा-निर्देश अनुसार शीत लीहर एवं ठंड से बचने के उपायों के तहत पर्याप्त मात्रा में गरम कपड़े रखें। ओढ़ने के लिए बहुपरत (कई परत) के कपड़े भी उपयोगी है। आपातकाल की आपूर्ति हेतु तैयार रहे। यथासंभव घर के अंदर रहें, ठंडी हवा से बचने के लिए कम से कम यात्रा करें। सूखा रहें। यदि गीले हो जाएँ तो शरीर की गर्मी को बचाने के लिए शीघ्रता से कपड़े बदलें। निरंगुल दस्ताने को चुने निरंगुल दस्ताने ठंड में ज्यादा गरम और ज्यादा अच्छा रक्षा कवच होता है। मौसम की ताजा खबर के लिए रेडियो सुने, टीवी देखें और समाचार पत्र पढ़ें। नियमित रूप से गरम पेय सेवन करें। बुजुर्ग और बच्चों का ठीक से देखभाल करें। ठंड में पाइप जम जाता है, इसलिए पेय जल का पर्याप्त संग्रहण करके रखें। उँगलियों, अंगुण्ठों के सफ़ेद होना या फीकापन, नाक के टिप में शीत दंश लक्षण प्रकट होते है। शीतदंश से प्रभावित क्षेत्रों को गर्म नहीं करें, गर्म पानी डालें (शरीर के अप्रभावित हिस्सों के लिए तापमान स्पर्श करने के लिए आरामदायक होना चाहिए)। हायपोथरमिया होने की स्थिति में पद प्रभावित व्यक्ति को गरम स्थान पर ले जाकर उसके कपड़े बदले। प्रभावित व्यक्ति के शरीर को शरीर के साथ संपर्क करके गरम करें, कंबल के बहू परत, कपड़े, टावेल या शीट से ढकें। शरीर को गरम करने के लिए गरम पेय दें। शराब न दें। हालत बिगड़ने पर डॉक्टरी सलाह लें।
फसलों को ठंड से बचाने के लिए प्रकाश की व्यवस्था करें और बार-बार सिंचाई-स्प्रिंकलर सिंचाई करें। बिना पके फलों के पौधों को सरकंडा, स्ट्रॉ, पॉलीथिन शीट्स, गनी बैग से ढक दें। केले गुच्छों को छिद्रयुक्त (सरंध्र) पॉलिथीन बैग से ढक दें। धान की नर्सरी में रात के समय नर्सरी क्यारियों को पॉलीथिन की चादर से ढक दें और सुबह हटा दें। शाम को नर्सरी क्यारियों की सिंचाई करें और सुबह पानी निकाल दें। सरसों, राजमा और चना जैसी संवेदनशील फसलों को पाले के हमले से बचाने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड (1000 लीटर पानी में 1 लीटर एच2एसओ4) या थियोरिया (1000 लीटर पानी में 500 ग्राम थियोरिया) का छिड़काव करें। यदि आपका क्षेत्र शीत लहर से ग्रस्त है, तो इसका प्रभाव आश्रयों से खत्म करें, गली (बड़े पेड़ों के कतारों के बीच फसलें उगाएं। फरवरी के अंत या मार्च की शुरुआत में पौधों के प्रभावित हिस्सों की छंटाई करें। काटे गए पौधों पर तांबा कवकनाशी का छिड़काव करें और सिंचाई के साथ एनपीके दें।
मवेशियों को रात के समय शेड के अंदर रखें और उन्हें सूखा बिस्तर लगाकर ठंड से बचाने के लिए प्रबंध करें। ठंड की स्थिति से निपटने के लिए पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए आहार में प्रोटीन स्तर और खनिजों को बढ़ाएं। जानवरों की ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पशुओं को नियमित रूप से नमक के साथ खनिज मिश्रण और गेहूं के दाने, गुड़ आदि 10 से 20 प्रतिशत दैनिक आहार में दें। पोल्ट्री शेड में कृत्रिम प्रकाश प्रदान करके चूजों को गर्म रखें।
शीत एवं ठंड से बचाव के लिए नही करने वाले उपायों के तहत शराब का सेवन न करें, यह शरीर के तापमान को घटाता है। शीतदंश क्षेत्र की मालिस न करें इससे अधिक नुकसान होता है। कपकपी को नजरअंदाज न करें यह एक महत्वपूर्ण पहला संकेत है कि शरीर गर्मी खो रहा है और प्रभावित व्यक्ति को तुरंत घर के अंदर करें। ठंड के मौसम में मिट्टी में पोषक तत्व न डालें, खराब जड़ गतिविधि के कारण पौधे अवशोषित नहीं कर सकते हैं। खेत के मिट्टी की गुड़ाई ना करें, ढीली सतह निचली सतह से गर्मी के प्रवाहकत्व को कम कर देती है। सुबह के समय मवेशियों, बकरियों को चरने न दें। रात के समय पशु, बकरी को खुले में न रखें।

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Brajesh Gupta

Editor, cgnnews24.com

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