कबीरधामकवर्धा

सड़क दुर्घटना को रोकने मिला उपाय, गोकुलम में ठहरेगा घुमन्तु और आवारा पशु

सड़क दुर्घटना में अंकुश लगाने आवारा पशुओं का होगा व्यवस्थापन

सड़क दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह है प्रमुख मार्गों पर बैठे धुमंतु एवं आवारा पशु। आखिर ये आवारा पशु आते कहां से है ? उनका स्वामी कौन है ? कैसे कोई स्वामी अपने पशुओं को ऐसे सड़कों पर भटकने के लिए छोड़ सकता है। इन आवारा और धुमंतु पशुओं की वहज से होने वाले सड़क दुर्घटनाओं को आखिर कैसे रोका जा सकता है ? इन सभी ज्वलंत विषयों को लेकर कलेक्टर जनमेजय महोबे ने गुरूवार को पुलिस, जिला पंचायत, पशुधन विकास विभाग, कवर्धा नगर पालिका, जनपद पंचायत की संयुक्त बैठक लेकर आवश्यक चर्चा की। बैठक में चर्चा के दौरान जिले के प्रमुख स्टेट और नेशनल हाईवे कवर्धा शहर पर आवारा और धुमंतु जानवरों की वहज से होने वाले सड़क दुर्घटनों को रोकने के लिए प्रभावी अभियान भी बनाया गया है। इस अभियान का नाम गोकुलम रखा गया है। इस अभियान के तहत जिले के गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाईवे के संचालित 44 ग्राम पंचायतों एवं गैठानों को चिन्हांकित किया गया है, जहां आसपास घुमंतु जानवारों को ठिकाना रहता है। उन्हे आसपास के अस्थाई गोकुलम में ठहराया जाएगा।
कलेक्टर महोबे ने निर्देशित करते हुए कहा कि गोकुलम अभियान के तहत आवारा-घुमंतु जानवरों के गले पर पीला रंग का पट्टा जिसमें रेडियम लगा होगा उसे पहनाया जाएगा। इससे दूर से सड़कों पर बैठे जानवरों को चिन्हांकित किया जा सकता है और उन्हे आसपास चिन्हांकित सुरक्षित स्थल गौठान-गोकुलम पर ठहराया जा सकता है। जानवर दूर से दिखाई देगी, जिससे वाहन चालकों को सुरक्षित यातायात करने में राहत भी मिलेगी। कलेक्टर ने इस अभियान को प्रभावी बनाने के निर्देश दिए है। पशुधन विकास विभाग के उपसंचालक डॉ. एस के मिश्रा को घुमंतु जानवारों को जहां अस्थाई रूप से बनाए गए गोठान-गोकुलम में व्यवस्थापन किए गए सभी जानवरों को प्रतिदिन स्वास्थ्य परीक्षण करने के भी  निर्देश दिए है।
गोकुलम अभियान के तहत प्रथम चरण पर जिले के नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे के उन सभी प्रमुख गांवों, स्थलों को चिन्हंकित किया गया है, जहां पर अधिकांशतः घुमंतु जानवर वहां बैठते है। बैठक में बताया गया कि राष्ट्रीय राजमार्ग रायपुर-जबलपुर मार्ग के ग्राम दशरंगपुर, इंदौरी, छिरहा, कवर्धा, सिंघनपुरी, पोड़ी, बोडला, चिल्फी बड़े ग्राम व शहर हैं। इसी प्रकार कुकदूर से राजनांदगांव मार्ग पर बडे ग्राम व शहर कुकदूर, पंडरिया, पांडातराई, कवर्धा, चीमागोदी, ओडिया, बिडोरा, सहसपुर लोहारा इसी प्रकार मुगेली से पंडरिया मार्ग के बड़े गावों को चिन्हांकित किया जाएगा।
कलेक्टर जनमेजय महोबे ने इसी प्रकार जिले के बोड़ला, पंडरिया और सहसपुर लोहारा जनपद पंचायत सीईओ को भी अपने क्षेत्र अंतर्गत आने वाले सभी प्रमुखमार्गों पर जहां घुमंतु और आवारा पशु सड़कों पर बैठते है, उन सभी ग्रामों स्थल, और आसपास के गौठानों को चिन्हांकित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही आसपास अस्थाई रूप से गोकूलम बनाने के निर्देश दिए, जहां ऐसे घुमतु और आवारा पशुओं को प्रभावी व्यवस्थापन किया जा सके। बैठक में वन मंडलाधिकारी चूड़ामणि सिंह, जिला पंचायत सीईओ संदीप कुमार अग्रवाल, अपर कलेक्टर इंद्रजीत बर्मन, पुलिस अनुविभागीय अधिकारी  कौशल किशोर वासनिक सहित जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।

घुमंतु और आवारा पशुओं के समस्या का प्रमुख कारण

कलेक्टर जनमेजय महोबे ने जिले में बढ़ते आवारा पशुओं और घुमंतु जानवारों की संख्या के बारे में पूरी जानकारी ली। बैठक में उपसंचालक पशुधन विकास विभाग डॉ एसके मिश्रा ने बताया कि घुमंतु मवेशी से अभिप्राय ऐसे मवेशी है, जिनके मवेशी स्वामी द्वारा उनसे लाभ न होने की स्थिति में उनके खुले में जानबुझकर छोड़ दिया जाता है, उनका परित्याग कर दिया जाता है। कुछ मवेशी अपने घर का रास्ता भटकर अन्यंत्र चले जाते है और इधर-उधर विचरण करने लगते है। किसी गैर सरकारी संगठन अथवा डेरी फार्म के द्वारा उनुपयोगी पशुओं को संस्था से निकाल दिया जाता है।

गोकुलम के लिए आवश्यक व्यस्था

कलेक्टर जनमेजय महोबे ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि गोकुलम स्थल का चयन शासकीय गोठान के आसपास की करने होंगे। गोकुलम के लिए चयनित स्थलों में शेड की व्यवस्था, चारे की व्यवस्था, पेयजल, बैठने की लिए स्वच्छ स्थल जो शासकीय गौठान के समीप होगा। गौकुलम के लिए गौसेवक एवं चरवाहां की व्यवस्था होगी, जिसे शुरू में गौठान प्रबंधन समिति से उनको मानदेय प्रदाय किया जाएगा। उसके बाद गौबर एवं दूध बिक्री से मानदेय की राशि सृजन किया जाएगा।

रात्रि के दौरान दुर्घटना से बचाने मवेशियों को पहनाया जा रहा रिफ्लेक्टिव रेडियम बेल्ट और इयर टैगिंग

माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के परिपालन में कलेक्टर महोबे द्वारा दिए गए निर्देशानुसार घुमंतू और लावारिस पशुओं को विशेष कर रात्रि के दौरान दुर्घटना से बचाने के उद्देश्य से रिफ्लेक्टिव रेडियम बेल्ट पहना कर, चिन्हांकन करने के लिए इयर टैगिंग (कान में बिल्ला) किया जा रहा है। इस कार्य के लिए पशुधन विकास विभाग द्वारा कुल 12 टीमों का गठन किया गया है, जो राष्ट्रीय और राजकीय राजमार्गों में बसे ग्रामों में ग्राम पंचायतों की सहायता से लावारिस मवेशियों का चिन्हांकन करके कार्य संपादित कर रहे हैं। टीमों के द्वारा आज तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित दशरंगपुर, इंदौरी, धरमपुरा, कवर्धा नगर पालिका क्षेत्र, पोंडी, चिल्फी और राजाढार में कुल 72 पशुओं को रिफ्लेक्टिव रेडियम बेल्ट पहना कर 103 पशुओं में इयर टैगिंग किया जा चुका है। उक्त कार्य में सहयोग के लिए नगरीय निकाय और जनपद पंचायतों से आवश्यक सहयोग के लिए लगातार अपील की जा रही है।

Brajesh Gupta

Editor, cgnnews24.com

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