साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है लेकिन इसके साथ ही बड़ी संख्या में कर्मचारी संगठनों ने भी हड़ताल का एलान कर दिया है। इनमें से आधा दर्जन से ज्यादा संगठनों ने चुनावी साल शुरू होते ही आंदोलन कर सरकार को अपने इरादे बता दिए हैं। दरअसल चुनाव के ठीक पहले कर्मचारी संगठनों के आंदोलन की पुरानी परंपरा है।
15 मई से पटवारी संघ के पदाधिकारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं लेकिन चुनावी साल में आंदोलन सिर्फ पटवारियों के नहीं बल्कि आने वाले दिनों और भी कई संगठनों ने हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे रखी है इसमें छत्तीसगढ़ के अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन, अनियमित कर्मचारी महासंघ, 108 और 102 के कर्मचारियों, रसोईया संघ, स्कूल सफाई कर्मचारी संघ के अलावा अन्य संगठन भी आंदोलन में उतरने वाले हैं।
ये संगठन कर चुके हैं आंदोलन
अपनी मांगों को लेकर मनरेगा कर्मचारी संघ, वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी, प्रदेश सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ, अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन, सर्वविभागीय संविदा कर्मचारी संघ, विद्युत मंडल कर्मचारी, मितनिनों संघ, अतिथि शिक्षक संघ, पीडब्ल्यूडी के संविदा कर्मचारी संगठन, तथा नगर निगम के प्लेसमेंट कर्मचारी बड़े आंदोलन कर चुके हैं।
हड़ताल पर लगाया एस्मा
पटवारियों की हड़ताल पर राज्य सरकार ने एस्मा लगा दिया है। लगातार 23 दिन से हड़ताल के कारण कामकाज प्रभावित हो रहे थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक दिन पहले ही मुख्य सचिव अमिताभ जैन को लोगों को हो रही परेशानी को ध्यान में रखते हुए कड़े निर्देश दिए है। सीएम के निर्देश के बाद बुधवार को ही एस्मा लगा दिया गया।
क्या है एस्मा?
आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है। एस्मा लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को किसी समाचार पत्र या अन्य माध्यम से सूचित किया जाता है। एस्मा छह महीने के लिए लगाया जा सकता है और इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दण्डनीय है।
मांगे पूरी नहीं होने तक हड़ताल जारी रखने की चेतावनी
पटवारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष भागवत कश्यप ने बताया कि वे अपनी जायज मांगों को लेकर पिछले 23 दिनों से हड़ताल पर हैं। सरकार को काम चाहिए लेकिन सुविधाएं देना नहीं चाहती इसलिए जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी तब तक हम अपना हड़ताल जारी रखेंगे।
संगठनों की प्रमुख मांगे
- दिवंगत शिक्षकों की विधवाएं: अनुकंपा नियुक्ति के लिए छह माह से धरने पर।
- प्रदेश पटवारी संघ: वेतन विसंगति दूर करने, सीनियारिटी के आधार पर पदोन्नति, विभागीय नियमित परीक्षा, संसाधन एवं भत्ता, स्टेशनरी भत्ता और मुख्यालय में निवास की बाध्यता खत्म करने।
- छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन: वेतन विसंगति, कर्मचारी-अधिकारियों को केंद्रीय कर्मचारियों से कम महंगाई भत्ता और आवास भत्ता, पिंगुआ कमिटी की रिपोर्ट अब तक लागू न करना, 4 स्तरीय पदोन्नति वेतनमान का मुद्दा।
- प्रदेश पंचायत सचिव संघ: पंचायत सचिवों के शासकीयकरण की मांग।
- छग प्रदेश सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ: नियमितिकरण होने तक समस्त कर्मचारियों को 62 वर्ष नौकरी की सुरक्षा, 25000 रु. वेतन एव 15000 रु. कार्य आधारित वेतन, गृह जिले में स्थानान्तरण की सुविधा, मानव संसाधन निधि 2018 एवं नियमानुसार ईपीएफ।