गन्ना उद्योग की मनमानी: 10 माह से किसानों का भुगतान अटका, विधायक–कलेक्टर भी बेबस

बोड़तरा खुर्द/कबीरधाम। क्षेत्र में संचालित खरहट्टा स्थित जय मां वैष्णवी गुड़ उद्योग पर किसानों का लगभग 20 लाख रुपये भुगतान अटकाने के गंभीर आरोप सामने आए हैं। किसानों का कहना है कि उद्योग संचालित करने वाले लोगों ने उन्हें लगातार “आज–कल” कहकर भुगतान टालते रहे और अंततः मई–जून में फरार हो गए। दस माह बीत जाने के बाद भी किसानों का बकाया भुगतान नहीं हो सका है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बुरी तरह प्रभावित हुई है।
किसानों के अनुसार भुगतान पर्ची में स्थानीय संचालक का नाम
किसानों ने बताया कि उद्योग का संचालन कर रहे
दिलीप चंद्रवंशी (ग्राम रुसे, थाना पांडातराई, जिला कबीरधाम)
कपिल चौधरी (ग्राम काबड़ौत, जिला शामली, उत्तर प्रदेश)
तथा उद्योग का मुनिम बताया जा रहा लालचंद चंद्राकर,
इन लोगों ने फरवरी 2025 के 10 से 12 फरवरी के बीच किसानों से गन्ना खरीदा। भुगतान पर्चियों में स्थानीय निवासी दिलीप चंद्रवंशी का नाम दर्ज होने के कारण किसानों को भरोसा हुआ कि लेन–देन सुरक्षित है।
लेकिन किसानों के अनुसार मुनिम लालचंद नियमित रूप से “भुगतान कल मिल जाएगा” का आश्वासन देता रहा और बाद में फरार हो गया।
थाने तक पहुँचा मामला, लेकिन कार्यवाही संदिग्ध
मामला थाना पांडातराई पहुँचने पर, किसानों का आरोप है कि ड्यूटी पर तैनात एएसआई ने संचालक पक्ष का समर्थन किया। किसानों ने प्रश्न उठाया कि यदि उद्योग किराए पर दिया गया था, जैसा कि दिलीप चंद्रवंशी ने दावा किया, तो भुगतान पर्ची में उनका नाम क्यों दर्ज है?
थाने में समाधान न मिलने पर किसान कुंजबिहारी सिंह भुवाल और संजय निर्मलकर ने 24 जून 2025 को कबीरधाम एसपी से शिकायत की। बयान तो दर्ज हुए, लेकिन एफआईआर दर्ज हुई या नहीं — यह स्पष्ट नहीं हो सका।
विधायक को अवगत कराया, लेकिन परिणाम शून्य
बोड़तरा खुर्द चेकडैम लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान किसानों ने स्थानीय विधायक भावना बोहरा को ज्ञापन सौंपकर मौखिक रूप से भी पूरे मामले से अवगत कराया। किसानों का कहना है कि अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है।
कलेक्टर से भी दो बार शिकायत, फिर भी कार्रवाई नहीं
किसानों ने 24 जून और 4 अगस्त 2025 को कलेक्टर कबीरधाम को शिकायत दी। किसानों का आरोप है कि गुड़ उद्योगों की कार्यशैली इस तरह प्रभावशाली हो चुकी है कि प्रशासन भी कार्रवाई करने में अक्षम दिखाई देता है।
किसानों की प्रमुख मांगें
किसानों ने शासन–प्रशासन से निम्न प्रमुख मांगें रखी हैं—
1. क्षेत्र के सभी गुड़ उद्योगों की गहन जांच की जाए।
2. तौल मशीनों में गड़बड़ी पाए जाने पर उद्योग तत्काल सील किए जाएँ व संचालकों पर एफआईआर दर्ज हो।
3. किराए पर चलने वाले गुड़ उद्योगों के लाइसेंस तुरंत रद्द किए जाएँ।
4. यूपी-बिहार से आकर उद्योग किराए पर लेकर भुगतान न करके फरार होने वाली प्रवृत्ति पर कड़ी रोक लगे।
5. शासन द्वारा जारी लाइसेंस, विद्युत खपत, श्रमिक विवरण, बीमा, पर्यावरण मानकों सहित सभी प्रावधानों के आधार पर फरार संचालक की जगह भुगतान की जिम्मेदारी लाइसेंसधारी पर ही तय की जाए।
शक्कर कारखाना बंद होने के कारण किसान मजबूर
पिछले पेराई सत्र में शक्कर कारखाना फरवरी के पहले सप्ताह में बंद हो गया था। बचे हुए गन्ने को किसान मजबूरी में गुड़ उद्योगों को देने पर विवश थे। अब भुगतान न मिलने से किसानों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है।





