
कबीरधाम (कवर्धा)। राजनीति में जहां चुनावी टकराव आम बात होती है, वहीं कवर्धा जनपद क्षेत्र क्रमांक 8 में एक अनोखी राजनीतिक एकता देखने को मिली। यहां से गणेश तिवारी को जनपद सदस्य पद के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया, क्योंकि उनके 5 प्रतिद्वंदियों ने नामांकन वापस लेकर उन्हें लिखित समर्थन दिया। यह घटनाक्रम न केवल क्षेत्रीय राजनीति में बल्कि प्रदेश की पंचायत राजनीति में भी चर्चा का विषय बन गया है।
*राजनीतिक रणनीति और समर्थन का गणित*
गणेश तिवारी, जो क्षेत्र में सामाजिक कार्यों और जनसेवा के लिए जाने जाते हैं, ने जनपद पंचायत चुनाव में अपनी मजबूत दावेदारी पेश की थी। उनके प्रतिद्वंदियों ने पहले चुनावी मुकाबले की तैयारी की थी, लेकिन बाद में उन्होंने सामूहिक रूप से समर्थन पत्र देकर तिवारी के पक्ष में अपनी सहमति जताई। यह घटनाक्रम राजनीतिक समन्वय और परिपक्वता का संकेत देता है, जहां विरोधी प्रत्याशियों ने क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दी।
*राजनीति में नई परिपाटी की शुरुआत?*
इस तरह की सहमति भारतीय राजनीति में कम ही देखने को मिलती है, जहां आमतौर पर चुनावी टकराव और राजनीतिक खींचतान देखने को मिलती है। सूत्रों के मुताबिक, गणेश तिवारी की समाजसेवा, राजनीतिक अनुभव और जनसंपर्क की मजबूत पकड़ के कारण क्षेत्र के अन्य दावेदारों ने उन्हें समर्थन देना उचित समझा।
*गणेश तिवारी का विजन*
अपनी निर्विरोध जीत के बाद गणेश तिवारी ने कहा, “यह जीत मेरी नहीं, पूरे क्षेत्र की जनता की है। मेरा उद्देश्य जनपद क्षेत्र क्रमांक 8 को विकास के नए आयाम देना है और सभी के सहयोग से इसे एक आदर्श पंचायत क्षेत्र बनाना है।” उन्होंने क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने पर जोर दिया।
गणेश तिवारी की निर्विरोध जीत यह दर्शाती है कि यदि नेता जनता से सीधे जुड़े हों और उनका कार्य क्षेत्र के लोगों को प्रभावित करे, तो चुनावी प्रतिस्पर्धा गौण हो जाती है। यह घटना भविष्य के चुनावों में एक नई राजनीतिक दिशा की ओर संकेत कर सकती है, जहां विकास और सहयोग राजनीति पर हावी रहेगा।





