पण्डरिया- सरस्वती शिशु मंदिर पण्डरिया के सभागार में देवी अहिल्याबाई होल्कर की त्रिंशताब्दी जयंती समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का प्रारंभ उनके तैल्य चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर पूजा अर्चना करते हुए किया गया। कार्यक्रम में देवी अहिल्याबाई होल्कर समिति के जिला प्रभारी रघुनंदन गुप्ता, सहायक विकास खंड शिक्षा अधिकारी रामचंद्र साहू, संस्था के प्राचार्य केवलराम ध्रुव, शिक्षक राजेश कुमार पाण्डेय, बृजमोहन गायकवाड़, दुखहरण सारथी, मनोज कुमार आदित्य, उमेंद यादव, राजेश गुप्ता, विक्की निर्मलकर, आचार्य दीपनेश सहित सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्य गण, माध्यमिक स्तर हाई स्कूल, हायर सेकंडरी तथा महाविद्यालयीन छात्र- छात्राएं, पालकगणों की उपस्थिति में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता शिवकुमार बंजारे खंड संयोजक देवी अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी जयंती समारोह पण्डरिया ने सभागार में उपस्थित 200 जनसमूह को संबोधित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि देवी अहिल्याबाई होल्कर का जीवन आज भी जनमानस के लिए प्रेरणादायक है। उनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौंडी गांव में हुआ था। एक साधारण कृषक परिवार में जन्मी अहिल्याबाई ने अपने अद्वितीय नेतृत्व, न्यायप्रियता और समाज सुधार के कार्यों से इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। विधवा होने के बाद भी, उन्होंने अपने ससुर मल्हारराव होल्कर के मार्गदर्शन में राज्य की बागडोर संभाली और मालवा क्षेत्र में कुशल प्रशासन स्थापित किया। उनकी शासन शैली में प्रजा के कल्याण, धर्म, शिक्षा और संस्कृति का विशेष ध्यान रखा गया। उन्होंने देशभर में मंदिरों, घाटों, कुओं, बावड़ियों, मार्गों, अन्नक्षेत्रों और प्याऊ का निर्माण कराया, जिससे समाज के सभी वर्गों को लाभ मिला। अहिल्याबाई होल्कर का जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने हर चुनौती का सामना धैर्य, साहस और करुणा से किया। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें एक आदर्श शासक के रूप में स्थापित किया, जो आज भी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि सच्चा नेतृत्व वही है जो प्रजा के कल्याण, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलते हुए समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाए। उनकी कहानी हमें यह प्रेरणा देती है कि कठिनाइयों के बावजूद, दृढ़ संकल्प और सेवा भाव से हम समाज में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
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