छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 10वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम जारी कर दिए हैं। इस बार रिजल्ट कुल 75.61 फीसदी रहा। हर बार की तरह इस बार भी लड़कियों ने ही बाजी मारी है। जशपुर की सिमरन शब्बा को पहला, गरियाबंद की होनिशा को दूसरा और जशपुर के श्रेयांश कुमार यादव को तीसरा स्थान मिला है। टॉप 10 में 59 छात्रों ने जगह बनाई है।
नतीजे CGBSE की ऑफिशियल वेबसाइट cgbse.nic.in या results.cg.nic.in पर लिंक पर जारी किए गए। इस पर स्टूडेंट्स रोल नंबर और डिटेल के साथ अपना रिजल्ट देख सकते हैं।इस बार 10वीं में 3 लाख 42 हजार 511 छात्रों ने परीक्षा दी है। 10वीं की परीक्षा 2 मार्च से 21 मार्च तक चली थी। इस साल की बोर्ड परीक्षाओं के लिए करीब 6.10 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें से 3 लाख 47 हजार 10वीं के हैं।
टॉप-10 में 59 छात्र
10वीं में इस बार छत्तीसगढ़ के 59 छात्रों ने मेरिट लिस्ट में जगह बनाई है। इनमें पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर एक-एक छात्र है। इसके अलावा चौथे स्थान में 98.17% के साथ चार, पांचवें स्थान में 98% के साथ चार छात्र, छठवें स्थान में 97.83% के साथ 7 छात्रों का नाम है। इसी तरह, सातवें स्थान के लिए 97.67% के साथ 7 छात्र और 97.50% लेकर 6 छात्र आठवें स्थान में संयुक्त रूप से शामिल हैं।
वहीं नौंवें नंबर पर 13 छात्रों ने जगह बनाई है, सभी को 97.33% मिले हैं। दसवें नंबर पर तो 15 छात्र शामिल हैं। इन सभी को 97.17% मिले हैं।
कोरोना की वजह से साल 2021 में 10वीं के रिजल्ट असाइनमेंट के आधार पर जारी किए गए थे। जबकि 12वीं का एग्जाम छात्रों ने घर से ऑनलाइन दिया था।
दो दौर में हुआ कॉपियों का मूल्यांकन
कॉपियों का मूल्यांकन दो चरणों में शुरू हुआ था। पहले चरण में 23 मार्च और दूसरे चरण में 14 अप्रैल तक मूल्यांकन किया गया। कुल मिलाकर 36 केंद्र बनाए गए हैं। 32 लाख उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का काम चल रहा है। मूल्यांकन में करीब 18 हजार शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई थी ।
काउंसलर समस्याएं सुनकर दे रहे सलाह
परीक्षा शुरू होने से पहले छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की ओर से हेल्पलाइन शुरू की जाती है। हेल्पलाइन नंबर पर छात्र बोर्ड परीक्षा और उससे संबंधित समस्याओं पर बात करते हैं। विषय विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक और दूसरे अधिकारी छात्रों की समस्या सुनते हैं और उन्हें मार्गदर्शन देते हैं।
छात्र-पालक हर रिजल्ट स्वीकार करें, ये आखिरी नहीं
10वीं, 12वीं के रिजल्ट के साथ ही सरकार का इस बार जोर बच्चों को किसी भी अप्रिय फैसला लेने से रोकने पर है। यही वजह है कि स्कूल शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग 15 दिन पहले से अलर्ट पर है। भास्कर ने रिजल्ट के बाद खुदकुशी के डेटा का विश्लेषण किया। साथ ही रिजल्ट बिगड़ने पर होने वाली दिक्कतों को लेकर स्कूल शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के अफसरों से बात की।
अधिकारियों ने बताया कि पहली बार है जब बच्चों को तनाव से दूर रखने के लिए, रिजल्ट से पहले पीटीएम की जा रही है। इसका मकसद अभिभावकों को यह बताना है कि वे बच्चों रिजल्ट स्वीकार करें, क्योंकि ये आखिरी परीक्षा या रिजल्ट नहीं है।
दूसरे बच्चों से तुलना न करें- एक्सपर्ट
जब रिजल्ट उम्मीद के मुताबिक नहीं आते तो बच्चे मानसिक तनाव में चले जाते हैं। कई बार पालक यह भी कहते हैं- हम सोच रहे थे, तुम टॉप करोगे। बच्चों के दिल दिमाग में यही बातें घर कर जाती हैं। फिर वे आत्महत्या जैसे कदम उठाते हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वे रिजल्ट को स्वीकार करें।
अपने बच्चे तुलना दूसरे बच्चों से न करें। बच्चों के अंदर इस दौरान होने वाले बदलावों को पहचानें। उन्हें समय दें, सपोर्ट दें। जरूरत पड़े तो काउंसिलिंग करवाएं।
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