
नृसिंहदेव कबीरधाम जिले के सिद्धपुर नवागांव पांडातराई में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण की पंचम दिवस की कथा में परम पूज्य श्री नरसिंहदेव जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत लीलाओं का जीवंत वर्णन किया। उन्होंने दर्शकों को याद दिलाया कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन में कैसे माता यशोदा के निश्छल प्रेम का सम्मान करते हुए अद्वितीय कार्य किए।
उखल बंधन की कथा
कथा में उखल बंधन की एक प्रसिद्ध घटना का उल्लेख किया गया। माता यशोदा ने जब भगवान श्री बालकृष्ण को उखल के बंधन में बांधा, तो उन्होंने अपने कोमल प्रेम के कारण रस्सी को नहीं तोड़ा। इसके बजाय, उन्होंने यमलार्जुन नामक विशाल वृक्षों को जड़ से उखाड़ दिया। यह घटना दर्शाती है कि श्री कृष्ण ने अपने भक्तों के प्रेम एवं समर्पण को कितना महत्व दिया।
समाज में कथा का महत्व
स्व. आशुतोष पाठक की पुण्य स्मृति में पाठक परिवार द्वारा आयोजित इस कथा में प्रतिदिन हजारों श्रोतागण शामिल हो रहे हैं। कथा का उद्देश्य न केवल भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं को स्मरण करना है, वरन यह आज के समाज में प्रेम और श्रद्धा के महत्व को भी पुनः स्थापित करना है। इस प्रकार की कथा हमारे जीवन में सुख, शांति और समर्पण का संदेश लाती है।





