
कवर्धा, 15 अक्टूबर 2025। यह कहानी है विकासखण्ड सहसपुर लोहारा के ग्राम पंचायत कुरूवा की जहां खेतीहर कृषको की संख्या अधिक है। उन कृषकों में एक कृषक है श्री चेतन धुर्वे जिन्हें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से सिंचाई कूप (डगवेल) निर्माण की स्वीकृति मिली। हितग्राही चेतन धुर्वे अपने खेतो में सिंचाई के लिए बरसात के पानी पर निर्भर रहते थे। लेकिन अब सिंचाई कूप निर्माण हो जाने से किसी भी मौसम में अपने खेतो में आसानी से सिंचाई कर सकते है। कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण है खेतो में सिंचाई का साधन और अब महात्मा गांधी नरेगा योजना इसकी पूर्ति होने लगी है। कृषक कार्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण है सिंचाई का साधन होना जिसके अभाव में हितग्राही श्री चेतन धुर्वे बारहमासी फसल लेने में असमर्थ थे। श्री चेतन पहले केवल बरसात के पानी के भरोसे खेती करते थे। उनके पास केवल 1.5 एकड़ जमीन थी, जिसमें भी बहुत सीमित खेती ही हो पाती थी। सिंचाई के अभाव में कई बार फसले नष्ट हो गयी जिससे हितग्राही को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा।
हितग्राही चेतन धुर्वे को जानकारी मिली के उनके समस्याओं का हल महात्मा गांधी नरेगा योजना से हो सकता है, जिसके बाद ग्राम पंचायत में उन्होंने अपनी मांग रखी। ग्राम पंचायत से प्रस्ताव तैयार किया गया जिसके बाद सिंचाई कूप के लिए कुल 2.52 लाख की स्वीकृति मिली। कूप निर्माण का कार्य हितग्राही के खेत में 8 मई 2024 को प्रारंभ हुआ जो 29 जून 2024 को पूरा हो गया। निर्माण कार्य से 1.03 लाख की मजदूरी गांव के मनरेगा जॉब कार्ड धारी परिवारों को प्राप्त हुआ।रोजगार प्राप्त करने वाले ग्रामीणों में हितग्राही का परिवार भी सम्मिलित है। कूप के निर्माण कार्य में 1.44 लाख रुपए सामग्री पर व्यय हुआ।
कूप निर्माण आज हितग्राही श्री चेतन के जीवन में खुशहाली का कारण बन गया है। अब उन्हें अपने खेत के लिए सालभर पानी उपलब्ध हो गया है। पहले जहां एक फसलीय खेती किया करते थे अब वे खरीफ, रवी और जायद फसले की खेती भी करने लगे है इस प्रकार कूप निर्माण हो जाने से बारहमासी फसल उगा रहें है। अपनी खेती का रकबा 1.5 एकड़ एवं बगल वालो से रेगहा मे लेकर रकबा बढ़कर 5 एकड़ हो गया है, जिससे आय में बढ़ोत्तरी हुआ है। हितग्राही चेतन स्वंय अपने लिए सब्जी उगा रहे है साथ ही सब्जी को बेच कर आमदनी कमा रहे है। चेतन धुर्वे की कहानी गांव के अन्य किसानों के लिए मिसाल बन गई है। जहां पहले कृषक सिर्फ बारिश का इंतजार करते थे, वहीं अब महात्मा गांधी नरेगा योजना की सहायता से सालभर खेती करने योग्य पानी की व्यवस्था अपने घर में ही पा रहे हैं। पशुपालन और छोटी-छोटी व्यवसायिक गतिविधियां अब उनके जीवन का प्रमुख हिस्सा बन गई हैं जो सीधे उन्हें आर्थिक लाभ दे रहा है।
हितग्राही श्री चेतन धुर्वे के अनुभव
हितग्राही चेतन धुर्वे अपने कूप के बारे में बताते है कि पहले सिर्फ बरसात में ही खेती कर पाता था लेकिन अब सालभर फसल उत्पादन कर पा रहा हूं। खेती का रकबा बढ़ गया है और इससे मेरी आय में वृद्धि हुआ है जिससे परिवार के भरण पोषण में सहायता मिली है। पहले सिंचाई के अभाव में कोई उत्पादन नहीं था। अब मेरे अपने 1.5 एकड़ में धान और तिलहन की फसल से लगभग 60 हजार का मुनाफा कमाया हूं। रेगहा में रकबा बढ़ने से मेरी आमदनी लाखो में हो जाएगी। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की वजह से मेरे जैसे किसानों को नई रहा मिली है। मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है और भविष्य के लिए नई उम्मीदे जगी है और मेरा पूरा परिवार खुशहाल है।
