अबूझमाड़: नक्सली जोड़े ने लाल आतंक छोड़ रचा प्यार का नया इतिहास
नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के घने जंगलों से एक अनोखी प्रेम कहानी ने समाज की मुख्यधारा तक अपना रास्ता बनाया है। हार्डकोर नक्सली जोड़े रंजीत और काजल ने 15 जनवरी को नारायणपुर एसपी प्रभात कुमार के सामने आत्मसमर्पण कर नक्सल पंथ से हमेशा के लिए तौबा कर ली। दोनों ने मौत और हिंसा के साये से निकलकर अपने प्यार को नई दिशा दी।
चौबीस घंटे पेड़ पर छिपकर बचाई जान
रंजीत ने बताया कि 4 अक्टूबर 2024 को पुलिस के जवानों से मुठभेड़ के दौरान मौत को बेहद करीब से देखा। 24 घंटे तक पेड़ की टहनियों में छिपकर जवानों से बचने के दौरान उसे अपनी प्रेमिका काजल से बिछड़ने का एहसास हुआ, जिसने उसे आत्मसमर्पण का फैसला लेने के लिए प्रेरित किया।
नक्सली संगठन की कड़वी सच्चाई
काजल और रंजीत के अनुसार, संगठन ने उनकी शादी को कभी स्वीकार नहीं किया। “संगठन से ऊपर कुछ नहीं,” यही फरमान सुनाकर दोनों को अलग-अलग सेक्शनों में तैनात कर दिया गया। काजल पर 8 लाख और रंजीत पर 8 लाख का इनाम था।
प्रेम की जीत: योजना बनाकर किया समर्पण
रंजीत और काजल ने गुप्त योजना बनाकर अबूझमाड़ के जंगलों से निकलकर आत्मसमर्पण किया। इस जोड़े ने नक्सली संगठन की विचारधारा को नकारते हुए समाज के साथ सामान्य जीवन जीने का निर्णय लिया।
प्रोफ़ाइल: खतरनाक नक्सली से सामान्य नागरिक बनने तक
रंजीत और काजल, कंपनी नंबर 6 के सबसे खतरनाक लड़ाकू दस्ते में सक्रिय थे। काजल 2004 से 2025 तक कई नक्सली घटनाओं में शामिल रही, जबकि रंजीत ने सलवा जुडूम के दौरान हिंसा से परेशान होकर नक्सल पथ अपनाया।
सरकार की पुनर्वास नीति ने दिलाई नई राह
छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण नीति ने इस जोड़े को नई दिशा दी। अब वे सामान्य जीवन जीने की ओर बढ़ रहे हैं, समाज की मुख्यधारा में लौटकर एक नई शुरुआत कर रहे हैं।