कवर्धा-ग्वालियर किले पर सूरजकुंड के पास सर्वप्रथम सूर्यमंदिर का निर्माण वर्ष 530 में मातृचेट गोप ने स्थापित कराया. इस मंदिर के केवल अवशेष ही शेष हैं.
इसके बाद ग्वालियर की सूर्योपासना की परंपरा को चिरस्थायी बनाने के लिए कोणार्क के सूर्य मंदिर से प्रेरणा लेकर इस सूर्य मंदिर का निर्माण वर्ष 1988 में बिड़ला परिवार के द्वारा कराया गया था.
ग्वालियर का सूर्य मंदिर भगवान अग्निगर्भ के रथ का प्रतीक है. इस मंदिर में इस तरह की स्थिति दर्शाई गई है जिसमें भगवान आदित्य अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं.
मंदिर का बाहरी परिसर जितना सुंदर दिखाई देता है, भीतरी परिसर भी उतना ही सुंदर, भव्य और आध्यात्मिक नज़र आता है.