कवर्धा- अभिलेख में दर्ज रकबा में भिन्नाता,नक्शो का कुट रचना सहित शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत आवेदन के समस्त कंडिकाओ में तथ्य सहित आरोपो के लिए कवर्धा पटवारी हल्का अन्तर्गत पदस्त राजस्व निरिक्षक, पटवारी, कवर्धा में लम्बे समय से पदस्त रहकर पदोन्नत हो कर नायब तहसीलदार बने अधिकारियों मे से ही दोष सिद्ध होना स्वाभाविक है जिससे सभी उच्च प्रशासनिक अधिकारी अवगत है
शिकायत कर्ता के द्वारा क्रय भुमि खसरा नम्बर 275/3 का दिनांक 04.03.2020 को पदस्त पटवारी *श्री शिवकुमार पाली* द्वारा गैर नियमतः चौहद्दी अंकन तात्कालीन तहसीलदार के निर्देश में किया जिसे चौहद्दीअंकन में उल्लेख किया है। जिसका आवेदक द्वारा प्रमाण प्रस्तुत किया है। उक्त पटवारी को जांच समिति में शामिल किया गया हैं।गैर नियमतः चौहद्दी अंकन मे *तात्कालीन तहसीलदार* के निर्देश क्या है प्रथम दृष्टया पटवारी पर गैर नियमतः चौहदी अंकन के लिए दबाव बनाया गया प्रतीत होता है यह गंभीर मामला है जो का विषय है।
शिकायत कर्ता द्वारा कुटरचित नक्शा के आधार पर खसरा नम्बर 275/3 का तथ्यहीन पटवारी प्रतिवेदन को प्रमाणीत किया गया है इस मिथ्या पटवारी प्रतिवेदन को दिनांक 20.03.2022 को पदस्त रहे पटवारी *श्री निर्मल साहू* द्वारा अपने सील हस्ताक्षर से प्रमाणीत कर प्रस्तुत किया है ये तत्कालीन हल्का पटवारी रहे है जिसे जांच समिति शामिल किया गया है!
शिकायत कर्ता के द्वारा कुटरचित वर्तमान राजस्व अभिलेख,वर्तमान नक्शा के आधार किए गए सिमांकन प्रतिवेदन को प्रमाणीत किया है इस निराधार सिमांकन प्रतिवेदन दिनांक 09.05.2022 को राजस्व निरिक्षक *श्री चन्द्रशेखर सिंह राजपुत* द्वारा प्रस्तुत किया गया है जिसमें वे आवेदित खसरा नम्बर 275/3 का आवेदक की भूमि कहां है इसको आवेदक को नही बताया है आवेदक द्वारा मिशल नक्शा के आधार पर नाप कर फिल्ड बुक बनाकर दिए जाने का अनुरोध किया गया है इस राजस्व निरक्षक को जांच समिति शामिल किया गया है ।
*अपने हि विरूद्ध अपने कार्यकाल के दस्तावेजो कि जाॅंच -* आवेदक के शिकायत के आधार पर माननीय जिलाधीश कबीरधाम के आदेशनुसार कवर्धा पटवारी हल्का एवं राजस्व निरिक्षक मंण्डल कवर्धा में पदस्त रहे पटवारी राजस्व निरिक्षको द्वारा अपने ही विरूद्ध अपने हि कार्यकाल के दस्तावेजो की जांच वास्तविक एवं निष्पक्ष करेंगे संभव ही नही है ऐसा प्रतीत हो रहा है कि निचले स्तर के राजस्व अधिकारी जिनके उपर दोष के साक्ष्य है उसे मिटाने का उन्हे भरपुर अवसर प्राप्त हो गया है
*प्रश्न यह उठता है कि इन्हे जांच समिति मे शामिल करने के पुर्व क्या माननीय जिलाधीश महोदय से अनुमति ली गयी है।*
भू-माफीयाओ के सिंडीकेट के विरुद्ध संघर्ष को और धारदार करने जल्द ही कवर्धा से लगे हुए ग्रामो का दस्तावेज खंगाला जाएगा जो खसरा नंबर जांच के लिए आदेशित हो चुके है उनका लोकेशन इस प्रकार है खसरा नंबर 263,274,275,जेवड़न रोड है!
खसरा नंबर 273 रकबा 5.52 एकड़ वर्तमान रिकाॅर्ड एवं मौका दोनो मे है जो राजनांदगांव रोड कि नगर पालिका परिषद कि शासकीय भूमि है जिसमे फायर ब्रिगेड,गौठान है जिसका नक्शा कुटरचना कर बदला गया यदि मिशल नक्शा के हिसाब से एकबा को रखते तो यह सात एकड़ होता मतलब साफ है 1.57 एकड़ भुमि कि अफरा-तफरी हो चुका है जिसे दस्तावेज स्वंय साबित कर रहे है, खसरा नंबर 271/2 रकबा1.90 एकड़ राजनांदगांव रोड सिचाई विभाग कि पानी के नीचे कि शासकीय भुमि है जिसमे स्कूल शनिदेव मंदिर, एवं साहू समाज के लिए आरक्षित भूमि है खसरा नंबर 280,269,से लगा नांदगांव रोड मे है, उक्त सभी खसरा एक दुसरे से लगा हुआ है।
गुरुनाला के मोड़ से बालिका छात्रावास तक गई शासकीय नजूल भुमि जिसका खसरा नंबर 161/1 रकबा 13.09 एकड़ रिकाॅर्ड मे है मौके मे जो सड़क के नाम पर 2 से 3 एकड़ भूमि बचा है बाकी जमीन कहा गया किसे आबंटन किया गया है या अफरा – तफरी कर दिया गया है जांच का विषय है, एवं खसरा नंबर 168/2 रकबा 1.90 एकड़ शासकीय भूमि जिसमे बालिका छात्रावास है उसके बाद,खसरा नंबर 165,खसरा नंबर 177 है जो गुरूनाला से लगा हुआ भुमि है।
खसरा नंबर 72 शासकीय कन्या महाविद्यालय,आर टीओ आफीस वाले रोड मे फॉरेस्ट के अनुविभागीय कार्यालय के सामने से होते हुए आगे एस पी आफिस के सामने से सरोधा मार्ग कि ओर गए रोड से लगा भुमि है
उक्त विषय मे किसान कांग्रेस के जिलाअध्यक्ष विजय वैष्णव ने क्षेत्र के विधायक एवं कैबिनेट मंत्री अकबर भाई, जिलाधीश कबीरधाम अनुविभागिय अधिकारी राजस्व कवर्धा के समक्ष कड़ी आपत्ति प्रस्तुत करते हुए मांग किया है कि नैसर्गीक न्याय के सिद्धांत को दृष्टीगत् रखते हुए जो पटवारी,राजस्व निरिक्षक, राजस्व निरिक्षक मंण्डल कवर्धा में लम्बे समय तक सेवा देकर बने नायब तहसीलदारो को जांच समिति से पृथक कर अन्य को दायित्व सौपा जावें एवं समिति के सदस्य के रूप में इनके द्वारा किए गए जांच की वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उचित समिक्षा किया जावें अन्याथा निष्पक्ष जांच की सम्भावना नही है पीड़ित पक्ष को न्याय नही मिल पायेगा