छत्तीसगढ़ में कांग्रेस विधानसभा चुनाव को लेकर 2018 के फॉर्मूले पर आगे बढ़ रही है। 2018 की तरह ही अलग-अलग आयोजन पार्टी कर रही है। कार्यकर्ता सम्मेलन, बूथ मैनेजमेंट, प्रशिक्षण शिविर और भरोसे का सम्मेलन जैसे कार्यक्रम अलग-अलग जिलों, संभागों में हो रहा है।
2018 में भी इसी तरह के आयोजन कांग्रेस पार्टी ने किए थे। जो कारगर भी साबित हुए और प्रदेश में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत से जीतकर सरकार बनाई थी। कांग्रेस नेताओं का दावा है कि इन सब फॉर्मूले के तहत 28 हजार बूथ में कांग्रेस के 10 हजार नेता पहुंचेंगे। यूथ विंग को भी अलग जिम्मेदारी दी गई है।
चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसे कौन से फॉर्मूले हैं जो 2018 में कांग्रेस के लिए कारगर साबित हुए थे
सभी संभागों में कार्यकर्ता सम्मेलन
साल 2018 की तरह इस विधानसभा चुनाव से पहले संभाग स्तर में कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया। यहां कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के साथ चुनावी मोड में लाने की कवायद संभागीय सम्मेलनों से ही की गई। इस दौरान कांग्रेस का फोकस नाराज नेताओं को मनाने के साथ-साथ पार्टी को छोड़कर जाने वाले सीनियर और प्रभावशाली नेताओं को फिर से पार्टी में जोड़ने का रहा। जिसमें काफी हद तक समन्वय बैठाने की कोशिश की गई।
प्रशिक्षण कार्यक्रम, हर विधानसभा में गए ट्रेनर
सभी विधानसभा सीटों में कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण जून महीने से ही शुरू कर दिया गया था। जिसमें विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले सभी सेक्टर, जोन, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी और प्रदेश प्रतिनिधि, निगम, मंडल, बोर्ड, आयोग में नियुक्त पदाधिकारियों ने भाग लिया।
साल 2018 में भी ऐसा ही प्रशिक्षण कार्यक्रम डिजाइन किया गया था। पार्टी के इतिहास से लेकर बूथ मैनेजमेंट, वोटर लिस्ट पढ़ना, चुनाव प्रचार, मतदान और काउंटिंग के दिन होने वाली तमाम गतिविधियों को लेकर ट्रेनिंग दी गई थी और 2023 के चुनाव से पहले भी प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए गए।
यूथ विंग को दी गई अलग जिम्मेदारी
प्रदेश के युवाओं को साधने की जिम्मेदारी 2018 की तरह इस बार भी यूथ विंग(NSUI, यूथ कांग्रेस) को दी गई है। इसके लिए अलग से कार्यक्रम भी डिजाइन किए गए हैं। यूथ कांग्रेस जहां ‘भूपेश है तो भरोसा है’ अभियान के साथ 50 लाख लोगों तक पहुंचने का दावा कर रही है।
इससे पहले साल 2018 में ‘मैं हूं बेरोजगार’ अभियान कांग्रेस के यूथ विंग ने चलाया था, जिसका असर भी नतीजों में देखा गया। हालाकि इस समय फर्स्ट टाइम वोटर्स के लिए भी छात्र संगठन NSUI को जिम्मेदारी दी गई है और उन्होंने ‘बात हे स्वाभिमान के हमर पहली मतदान के’ अभियान इस चुनाव में शुरू किया है।
SC,ST, महिला कांग्रेस, सेवा दल हर विभाग अपने स्तर पर काम
कांग्रेस ने पार्टी के सभी विभागों के लिए उनके स्तर पर काम बांट दिए हैं और इसकी समीक्षा भी की जा रही है। साल 2018 से काम इस बार अलग हैं। पिछली बार मौजूदा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और बीजेपी सरकार की नाकामी को लोगों तक पहुंचाना था, लेकिन इस बार सरकार की योजनाओं की जानकारी घर-घर पहुंचाने के साथ बूथ स्तर के मैनेजमैंट का भी काम सौंपा गया है।
सभी 90 विधानसभा सीटों में संकल्प शिविर
साल 2018 की तरह कांग्रेस पार्टी ने सभी 90 विधानसभा सीटों में संकल्प शिविर का आयोजन कर रही है। हालांकि 2018 के चुनाव से पहले हुए संकल्प शिविर में कांग्रेस 85 विधानसभा को ही कवर कर पाई थी। इसके बावजूद बंपर जीत हासिल हुई थी। इस बार सभी 90 विधानसभा सीटों तक पहुंचने का दावा किया जा रहा है। संकल्प शिविर की शुरुआत रायपुर पश्चिम से हुई है और प्रदेश की सभी 90 विधानसभा में ये आयोजन होंगे, सभी जगह पार्टी के सीनियर लीडर भी जाएंगे और विशेषज्ञ भी जाएंगे।
एक विधानसभा क्षेत्र से तीन हजार कार्यकर्ता संकल्प शिविर में भाग लेंगे। इस अभियान में हर पोलिंग बूथ से एक सोशल मीडिया समन्वयक बनाया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी का सभी संकल्प शिविर बूथ प्रबंधन पर फोकस करके आयोजित किया जा रहा है।
संकल्प यात्रा का आयोजन
2018 की ही तरह संकल्प यात्रा की भी शुरुआत की गई है। इस यात्रा का मकसद 15 दिनों में 90 विधानसभा को कवर करना होगा। इस यात्रा में सबसे पहले रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर संभाग के विधानसभा क्षेत्रों में यात्रा होगी और फिर बस्तर और सरगुजा संभाग में संकल्प यात्रा निकाली जाएगा।
कुछ नई रणनीति पर भी फोकस
कांग्रेस का दावा है कि इन तमाम फॉर्मूलों से प्रदेश के 28 हजार बूथ में कांग्रेस के 10 हजार नेता पहुंचेंगे। पहले पार्टी के बड़े नेता केवल विधानसभा या ब्लॉक लेवल तक ही जाते थे। लेकिन अब बूथों तक बड़े नेताओं को जाने के निर्देश दिए गए हैं।
विधानसभावार नेताओं और कार्यकर्ताओं से फीडबैक
प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा विधानसभावार नेताओं और कार्यकर्ताओं से वन-टू-वन चर्चा करके फीडबैक ले रही है। इससे पहले केवल पदाधिकारियों से चर्चा होती थी। मगर इस बार कई कार्यकर्ताओं से भी सीधे मिलकर फीडबैक लिया गया है, जिसके आधार पर क्षेत्र में मौजूदा विधायक और संभावित प्रत्याशियों की जानकारी आलाकमान को मिलेगी।
भरोसे का सम्मेलन का आयोजन
सरकार के कार्यकाल की उपलब्धि बताने कांग्रेस के बड़े लीडर्स हर विधानसभा क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। प्रियंका गांधी जगदलपुर में आयोजित सम्मेलन में पहुंची थी और अब 13 अगस्त को मल्लिकार्जुन खड़गे जांजगीर-चांपा जिले जाएंगें।
भेंट मुलाकात
प्रदेश में इस वक्त कांग्रेस की सरकार है लिहाजा सरकार की उपलब्धियों को बताने जनता की समस्याओं के तुरंत निराकरण और विधानसभावार सरकार के कामकाज को परखने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट-मुलाकात कार्यक्रम किया। सभी विधानसभा में इस आयोजन के बाद युवाओं और अलग-अलग वर्गों से भी भेंट मुलाकात का कार्यक्रम रखा गया।
सियासी बयानबाजी का भी दौर
कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने बूथ स्तर पर जाकर बूथ सम्मेलन संकल्प शिविर, कार्यकर्ता सम्मेलन समेत अनेक कार्यक्रम चलाए थे। जिसका परिणाम था कि प्रदेश में 68 से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की और 2023 के चुनाव में कांग्रेस 2018 के फॉर्मूले पर नई रणनीति के साथ काम कर रहे हैं।
बीजेपी बोली-काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती
जबकि बीजेपी का इस फॉर्मूले को लेकर कहना है कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती( किसी व्यक्ति को एक बार मूर्ख बनाया जा सकता है बार-बार नहीं)। बीजेपी प्रवक्ता अनुराग अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस चाहे कोई भी फॉर्मूला अपना ले, लेकिन मुख्य फॉर्मूला यही है की जनता ही अपनी प्रतिनिधि चुनती है। कांग्रेस चाहे किसी भी फॉर्मूले पर काम कर ले उसका जाना तय है।