12.29 करोड़ की खेल योजना पर ब्रेक, 11 माह बाद भी 24 में से एक भी मिनी स्टेडियम पूरा नहीं

कवर्धा/चिल्फीघाटी | विशेष रिपोर्ट
गांव-गांव में खेल प्रतिभाओं को निखारने के सरकार के दावे जमीनी हकीकत में दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। नवंबर 2024 में स्वीकृत ₹12 करोड़ 29 लाख की लागत से जिले के 24 गांवों में मिनी स्टेडियम बनाए जाने थे, लेकिन 11 महीने बीत जाने के बाद भी एक भी स्टेडियम पूरा नहीं हो सका है। निर्माण की जिम्मेदारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा (आरईएस) को दी गई थी और दावा था कि एक साल के भीतर सभी कार्य पूरे कर लिए जाएंगे।
ठेकेदारों की सुस्ती और कमजोर मॉनिटरिंग
योजना की रफ्तार ठेकेदारों की सुस्ती और जिम्मेदार विभाग की कमजोर निगरानी के चलते थम सी गई है। जनवरी 2024 से निर्माण कार्य शुरू हुए, लेकिन अधिकांश जगहों पर काम अधूरा या पूरी तरह ठप पड़ा है। नतीजतन ग्रामीण युवाओं को अब तक खेल सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं।
चिल्फीघाटी में बदहाली की तस्वीर
चिल्फीघाटी इसका बड़ा उदाहरण है। यहां ₹51 लाख की लागत से बन रहा मिनी स्टेडियम आधा-अधूरा ढांचा बनकर रह गया है। बिल्डिंग और बाउंड्रीवॉल तो खड़ी कर दी गई, लेकिन मैदान का समतलीकरण नहीं हुआ। जहां खिलाड़ियों को दौड़ना था, वहां उबड़-खाबड़ जमीन, झाड़ियां और अधूरे काम नजर आते हैं। बारिश में यह स्थान दलदल में तब्दील हो गया था।
कई गांवों में महीनों से काम पूरी तरह बंद
कई गांवों में 7–8 महीनों से निर्माण कार्य पूरी तरह रुका हुआ है। स्थानीय स्तर पर खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने की योजना फिलहाल कागजों तक ही सीमित नजर आ रही है।
इन गांवों में बनना है मिनी स्टेडियम
योजना के तहत जिन 24 गांवों में मिनी स्टेडियम प्रस्तावित हैं, उनमें शामिल हैं—
दौजरी, बदराडीह, बैजलपुर-मक्के, उसरवाही, झलमला, चिल्फी, खैरबना, बेंदरची, जिताटोला, खारा, सूरजपुरा, बड़ौदा खुर्द, सिंघनपुरी जंगल, दुल्लापुर, घुघरी कला, पवनतरा, नेवारी, तितरी, सिल्हाटी, अमलीडीह, भोंदा, कांपा, कामाडबरी और नेउर खुर्द।
3 गांव, जहां भूमिपूजन के बाद भी ईंट तक नहीं
स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक सिंघनपुरी जंगल, पवनतरा (सहसपुर लोहारा ब्लॉक) और कांपा (बोड़ला ब्लॉक) में है।
इन गांवों में 3–4 महीने पहले भूमिपूजन तो हुआ, लेकिन अब तक नींव तक नहीं रखी गई।
सिंघनपुरी जंगल और पवनतरा में उपयुक्त जमीन का चयन नहीं हो पाया।
कांपा गांव में जल संसाधन विभाग से एनओसी नहीं मिली।
यह प्रशासनिक तालमेल की कमी और योजना बनाते समय जमीनी सच्चाई की अनदेखी को उजागर करता है।
प्रतियोगिताओं और प्रशिक्षण का सपना अधूरा
योजना का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को फुटबॉल, क्रिकेट, कबड्डी जैसे खेलों के लिए बेहतर मैदान उपलब्ध कराना और स्थानीय प्रतियोगिताओं का आयोजन करना था, ताकि बच्चों और युवाओं को प्रशिक्षण व मंच मिल सके। लेकिन मौजूदा हालात में खिलाड़ी सिर्फ अधूरे ढांचे और बंद पड़े निर्माण कार्य देख रहे हैं।





