
कवर्धा / पंडरिया ब्रजेश गुप्ता
छत्तीसगढ़ के पंडरिया स्थित ऐतिहासिक सरदार वल्लभभाई पटेल शक्कर कारखाने में व्यापक वित्तीय अनियमितताओं और कुप्रबंधन के गंभीर आरोप सामने आए हैं। एक समय जिले की आर्थिक रीढ़ माने जाने वाला यह कारखाना आज भ्रष्टाचार, फर्जी बिलों और गलत बैलेंस शीट के चलते पूरी तरह से चरमराया हुआ है।
मेंटेनेंस के नाम पर करोड़ों की हेराफेरी, फर्जी पार्ट्स व कागजी खरीद, मशीनरी को ‘नई’ दिखाकर भुगतान—इन सबने कारखाने को आर्थिक रूप से खोखला कर दिया है।
इसके साथ ही जरूरत से अधिक मजदूरों की अनियमित भर्ती ने वेतन-भार को असामान्य रूप से बढ़ा दिया है, जबकि उत्पादन लगभग ठप हो चुका है।
अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि वास्तविक घाटे को छुपाने के लिए बैलेंस शीट में हेरफेर किया जा रहा है, वहीं कई सप्लायरों को बिना माल दिए करोड़ों रुपये के बिल पास किए गए हैं, जिससे कारखाना “ATM” की तरह इस्तेमाल हो रहा है।
सबसे अधिक प्रभावित किसान हैं। जहां उन्हें ₹400 प्रति क्विंटल मिलना चाहिए था, वहां केवल ₹200 प्रति क्विंटल का भुगतान किया जा रहा है। देरी, कटौती और अनिश्चितता ने किसानों की आर्थिक स्थिति को गहरा झटका दिया है।
कारखाना कमजोर होने के पीछे इसे भविष्य में निजी क्षेत्र को सौंपने की साजिश होने की आशंका भी जताई जा रही है। नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत, शिकायतों पर कार्रवाई का अभाव और ऑडिट रिपोर्टों को दबा देना पूरे तंत्र पर सवाल खड़े करता है।
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CBI/ACB जांच की मांग तेज; समय रहते कार्रवाई न हुई तो कारखाना खंडहर बनने की कगार पर
विशेषज्ञों और किसान संगठनों का कहना है कि अगर तुरंत कड़ी कार्रवाई—CBI/ACB जांच, बाहरी एजेंसी से ऑडिट, फर्जी बिल रद्द और जिम्मेदारों पर कानूनी कार्रवाई—नहीं हुई, तो आने वाले वर्षों में पंडरिया की यह शक्कर फैक्ट्री सिर्फ एक ऐतिहासिक खंडहर बनकर रह जाएगी।
यह मामला सिर्फ उद्योग का नहीं, बल्कि किसानों के भविष्य और जिले की आर्थिक पहचान से जुड़ा हुआ है।




