श्रम विभाग कवर्धा में छुपे रिश्वत घोटाले के कई रहस्य
खाना पुर्ति हो रही कार्यवाई
कवर्धाः- श्रम विभाग में लेबर लाइसेंस बनाने के एवज में 10 से 12 हजार रुपए रिश्वत लेने के मामले में कलेक्टर आफिस में शिकायत के बाद जांच हुई और इसमें श्रम अधिकारी की अहम भुमिका सामने आई मामले की जांच रिपोर्ट पर जब विभाग द्वारा कार्यवाही के लिए संबंधित विभाग में भेजी गई उसके बाद प्रशासन के द्वारा कार्यवाही करते हुए दो कर्मचारी को अवैधानिक लेन देन के दोषी पाए जाने के कारण प्लेसमेंट कर्मचारीयों की सेवाए कार्यमुक्त किए जाने हेतु इस तरह से पुरे प्रकरण में च्वाइस सेंटर और विभाग की कर्मीयांे कि मिली भगत से वसुली कि बात उजागर हुई है। कुछ समय पुर्व शक्कर कारखाना के ठेकेदारों केेे द्वारा लाइसेंस नवीनीकरण के नाम पर लाखों रुपये रिश्वत लेने का शिकायत कलेक्टर आफिस में किया गया था। आर टी आइ के माध्यम से यह पता चला है कि सभी ठेकेदारों से अपने आफिस में प्लेसमेंट कर्मचारी के द्वारा आनलाइन फार्म भरवाकर और पैसे लेकर लाईसेंस जारी करता था एक ठेकेदार का पैसा के अभाव के चलते अब तक लाईसेंस नहीं बना है। इस तरह से वर्ष 2016,17 मंे प्रतिभूति राशी लगभग 80 ठेकेदारों का श्रम विभाग में लाखों रुपए जमा है। जिसको निकालने के लिए कई बार आवेदन दिया गया। इस संबंध में श्रमपदाधिकारी ने कहा आप लोग गलत हेड में पैसा जमा कराए हो फर्जी ढंग से तुम्हारा लाइसेंस बना हुआ है अगर शिकायत करूंगा तो सभी ठेकेदार जेल चले जाएगें। श्रम अधिकारी के द्वारा ठेकेदारों को डरा धमका कर रखा हुआ है ताकी मेरे खिलाफ कोई बयान बाजी न कर सके। और अपने को पहुचंे हुए अधिकारी बताकर जहां भी शिकायत करने कि बात करते है। कवर्धा कलेक्टर ने इस जांच की जिम्मा अपर कलेक्टर इन्द्रजीत बरमन को सौंपा जिसके बाद अपर कलेक्टर ने सबसे पहले श्रमपदाधिकारी काजी से अपने यहां पंजिकृत ठेकेदारों की सुची मागीं मगर काजी के द्वारा गोलमोल करते हुए सुची नहीं दी गई इतना ही नहीं बलकी श्रमपदाधिकारी से विभाग के हितग्राहीयों की सुची मांगी गई तब भी उपलब्ध नहीं कराई इससे साफ साफ पता चलता है कि श्रम विभाग में घोटाले की कई रहस्य छुपा हुआ है। जो जांच के बाद उजागर होगा।
जांच प्रतिवेदन भेेजा शासन को
अपर कलेक्टर इंद्रजीत बर्मन ने इस मामले की जांच का प्रतिवेदन कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया जिसके बाद कलेक्टर ने कवर्धा के श्रमपदाधिकारी शोएबकाजी को जिले से हटाने और प्लेसमेंट पर काम कर रहे धनन्जय कौशिक और अनिल देशमुख को नौकरी से हटाने की अनुशंसा का पत्र राज्य शासन को भेज दिया था।