ब्रेकिंग: वक्फ (संशोधन) अधिनियम लागू, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बना कानून; अब बिना दस्तावेज वक्फ संपत्ति का पंजीकरण नहीं

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा लाया गया वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 अब कानून बन चुका है। शनिवार, 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही इसे वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के रूप में लागू कर दिया गया है। इस नए कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
इस अधिनियम के तहत अब वक्फ संपत्तियों को बिना किसी वैध लिखित दस्तावेज के दर्ज नहीं किया जा सकेगा। साथ ही सरकारी और विवादित जमीन को भी वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत नहीं किया जा सकेगा।
सरकार ने वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण की जिम्मेदारी अब सर्वे कमिश्नर से हटाकर जिलों के कलेक्टरों को सौंप दी है। इसके अलावा सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण अगले छह माह के भीतर एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा।
नए कानून के तहत वक्फ बोर्ड के ढांचे में भी अहम बदलाव किए गए हैं। बोहरा और अघाखानी समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनाए जाने का प्रावधान शामिल किया गया है। इसके साथ ही अब वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्य और महिलाएं भी बतौर सदस्य नियुक्त की जाएंगी।
यह अधिनियम संसद के बजट सत्र में भारी विरोध के बीच पारित हुआ। लोकसभा में 288 और राज्यसभा में 128 सांसदों ने इसका समर्थन किया। बीजेपी के अलावा जेडीयू, टीडीपी और एलजेपी जैसे दलों ने भी विधेयक के पक्ष में वोट दिया। वहीं कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस कानून को संविधान विरोधी बताते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
विधेयक पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि “सेना और रेलवे से भी अधिक वक्फ की संपत्तियां हैं, जिनका सही उपयोग कर गरीब और पसमांदा मुसलमानों को फायदा पहुंचाया जा सकता है।” उन्होंने कहा कि नए कानून में सच्चर कमेटी की कई सिफारिशों को भी शामिल किया गया है।
