One Nation One Election: एक देश एक चुनाव विधेयक लोकसभा में पेश, भारी मतदान से हुआ स्वीकृत
नई दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार (17 दिसंबर) को संसद में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव (One Nation One Election)’ विधेयक पेश किया, जिसका उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का है। विधेयक को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच तीव्र विवाद देखने को मिला।
लोकसभा में विधेयक पर मतदान: 220 पक्ष में, 149 विरोध में वोट पड़े
लोकसभा में इस विधेयक पर मतदान हुआ, जिसमें 220 सांसदों ने पक्ष में और 149 ने विरोध में वोट डाला। इस मतदान में 369 सांसदों ने भाग लिया और किसी ने भी वोटिंग का बहिष्कार नहीं किया। विपक्षी दलों ने विधेयक के खिलाफ अपने विरोध का इजहार किया, जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने मतदान प्रक्रिया को पर्ची के माध्यम से फिर से कराने का फैसला किया।
विधेयक के पक्ष में सत्तारूढ़ दल, विपक्षी दलों ने किया विरोध
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और क्षेत्रीय सहयोगी दलों ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक का समर्थन किया, इसे प्रशासनिक दक्षता और सरकारी खजाने पर वित्तीय दबाव कम करने के रूप में देखा गया। वहीं, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने इसे संविधान और संघीय ढांचे के खिलाफ करार दिया।
एक साथ चुनावों का उद्देश्य: चुनावी प्रक्रिया में सुधार
विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने का है। इस प्रस्ताव से चुनावी समय-सारणी को समन्वित किया जाएगा, जिससे चुनावों से जुड़ी लागत में कमी, प्रशासनिक संसाधनों का बेहतर उपयोग और बार-बार चुनावों से उत्पन्न होने वाली व्यवधानों को घटाने की उम्मीद है।
सामाजिक और आर्थिक असर: जनता की प्रतिक्रिया और संभावित बचत
समिति द्वारा किए गए अध्ययन और 21,500 से अधिक प्रतिक्रियाओं के बाद, 80% जनता ने एक साथ चुनावों का समर्थन किया। इसके आर्थिक फायदे की बात करते हुए, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मार्च 2024 में अनुमानित किया था कि इस विधेयक से सरकारी खजाने को 1.5% बचत हो सकती है, जो लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये तक हो सकती है।
इस विधेयक के प्रभावों पर आगे की चर्चा और संसदीय समितियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, जिससे इसे लागू करने के तरीके और इसके व्यावहारिक पहलुओं पर विचार किया जाएगा।