कवर्धा। बिजली विभाग अपने कारनामे के लिए मशहूर है। रोज नए नए कारनामे सुनने को मिलते हैं। उपभोक्ताओं का माने तो विभाग में कोई भी कार्य बिना पैसे के लेनदेन बगैर नहीं होता है। छोटे-छोटे कार्य के लिए उपभोक्ता और किसान बिजली ऑफिस के चक्कर लगाता रहता है। बड़े कार्य जैसे गुड़ उद्योग व अन्य उद्योगों के कनेक्शन के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है। पैसा ना देने पर अधिकारी प्रकरण में कुछ ना कुछ कमी बता फाइल को लटकाए रहते हैं।
ताजा मामला पिपरिया विद्युत विभाग का है जहां बाबू विनय कुमार द्वारा उपभोक्ताओं को फर्जी रसीद बनाकर मोटी रकम वसूल कर कंपनी वह उपभोक्ताओं को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है। बाबू द्वारा फर्जी रशीद में अपना हस्ताक्षर कर उपभोक्ताओं को दिया जाता है एवं पैसा विभाग में जमा न कर अपने व अपने सहयोगी अधिकारियों द्वारा मिलकर गबन कर लिया जाता है। एक पीड़ित उपभोक्ता ने बताया कि उपभोक्ता के बिजली बिल का पैसा विभाग के खजाने में जमा ना होने की शिकायत उनके द्वारा कवर्धा जिले के आला अधिकारियों से की गई है। किंतु विभाग द्वारा ऐसे बड़े भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की बजाय भ्रष्ट बाबू को संरक्षित किया जा रहा है। उपभोक्ता ने बताया कि शिकायत किए 15 दिवस से ऊपर हो गया है उसके बावजूद भी उपमुख्यमंत्री के गृह जिले में भ्रष्ट बाबू पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
स्थानांतरित बाबू फिर से किए गए पदस्थ
आरोपित बाबू विनय यादव पिपरिया विद्युत विभाग में पदस्थ है। कुछ समय पूर्व ही उनका स्थानांतरण जिले के अन्य विद्युत केंद्र में हो गया था किंतु बाबू की तगड़ी सेटिंग और बाबू के पिपरिया में रहने की चाहत ने उन्हें फिर से भ्रष्टाचार करने का मौका मिला। सोचनीय विषय यह है कि आरोपी पर भ्रष्टाचार जैसे आरोप लगने के बाद भी आरोपी उसी केंद्र में पदस्थ है और लगातार भ्रष्टाचार कर रहा है। आरोपी बाबू के संज्ञान में शिकायत की जानकारी होने पर साक्षी व सबूत से छेड़छाड़ का गंभीर मसला उत्पन्न हो गया है। जांच होने पर निष्पक्ष जांच होना संभव नहीं है एवं साक्ष्य की लीपापोती होने की पूर्ण संभावना है।