कवर्धा, 02 दिसंबर 2024। छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले की विशेष पिछड़ी जनजाति (पीवीटीजी) बैगा महिलाओं ने अपनी कला के माध्यम से नशा मुक्त भारत अभियान में अद्वितीय योगदान देकर सबका ध्यान आकर्षित किया है। इन महिलाओं ने अपनी रचनात्मकता और सामाजिक चेतना के बल पर यह साबित कर दिया कि बदलाव के लिए केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति और समर्पण भी महत्वपूर्ण हैं।
जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर, विकासखंड बोड़ला के सुदूर और दुर्गम वनांचल ग्राम तरेगांव जंगल के इंद्रीपानी गांव की इन महिलाओं ने विश्व एड्स दिवस के अवसर पर नशा मुक्त भारत अभियान के तहत आयोजित रंगोली प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। उनकी रंगोलियों ने न केवल ग्रामीणों को, बल्कि समाज के हर वर्ग को नशा मुक्ति का प्रेरणादायक संदेश दिया। इन बैगा महिलाओं ने अपने रंगों और रचनाओं से नशे की बुराइयों को उजागर करते हुए स्वस्थ और सकारात्मक समाज निर्माण का आह्वान किया। उनकी कलाकृतियां यह संदेश देती हैं कि सीमित साधनों के बावजूद इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के जरिए बड़ा बदलाव संभव है।
महिलाओं ने अपनी रंगोलियों के माध्यम से यह दिखाया कि कला केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं है, बल्कि समाज में जागरूकता लाने और कुरीतियों को समाप्त करने का सशक्त उपकरण भी है। उनका यह प्रयास एक उदाहरण है कि समाज के प्रति समर्पण और जागरूकता के साथ वे प्रभावी भूमिका निभा सकती हैं। इंद्रीपानी की बैगा महिलाओं की यह पहल न केवल नशे के खिलाफ लड़ाई में प्रभावी है, बल्कि यह भी दिखाती है कि आदिवासी समाज अपनी परंपराओं और मेहनत से बड़े सामाजिक मुद्दों पर गहरी छाप छोड़ सकता है।